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वैशाख मास में पूजा और स्नान-दान से मिलता है कभी न खत्म होने वाला पुण्य


 वैशाख महीना 5 मई तक रहेगा। इस महीने को पुराणों में बहुत खास बताया गया है। ग्रंथों के मुताबिक वैशाख महीने में खासतौर से भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान बताया गया है। साथ ही इस महीने में पीपल और तुलसी पूजा भी करने की परंपरा है। ऐसा करने से कई यज्ञों का पुण्य मिलता है। साथ ही जाने-अनजाने में हुए पाप भी खत्म हो जाते हैं। वैशाख, भगवान विष्णु का प्रिय महीना है।

जैसे नदियों में गंगा वैसे ही महीनों में वैशाख
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस महीने में प्यासे को जल पिलाने से गंगा स्नान का फल मिलता है। महर्षि नारद ने कहा था कि जिस तरह देवताओं में विष्णु, नदियों में गंगा श्रेष्ठ है, उसी तरह वैशाख को विष्णु के प्रिय होने से श्रेष्ठ महीना माना गया है।

धर्म-कर्म का महीना
वैशाख, खासतौर से श्रीहरि, देवी और परशुरामजी की उपासना का महीना है। विष्णु पूजा, गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान-दान का कई गुना फल मिलता है। इस महीने अच्छी सेहत के लिए जल के साथ सत्तू का सेवन लाभकारी है।

वैशाख महीने को माधव मास भी कहा जाता है। इस महीने भगवान विष्णु को पंचामृत और तुलसी दल का भोग लगाना चाहिए। सफेद और पीले पुष्प चढ़ाने से पूजा विशेष फलदायी बन जाती है।

बड़े तीज-त्योहारों वाला महीना
वैशाख महीने में भगवान विष्णु के परशुराम अवतार की पूजा का विशेष महत्व है। इस महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया पर इनकी विशेष पूजा की जाती है। इसी दिन अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है। इस तृतीया के साथ ही वैशाख में आने वाली वरुथिनी और मोहिनी एकादशी का व्रत करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। वैशाख महीने में किए जाने वाले धर्म-कर्म से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

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