20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। वैशाख अमावस्या पर होने वाला ये पूर्ण सूर्य ग्रहण रहेगा। हालांकि ये भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए ये भी सिर्फ खगोलीय नजरिये से ही खास रहेगा।
धार्मिक रूप से इसका महत्व नहीं होगा। ये ही वजह है कि इसका सूतक काल भी देश में नहीं माना जाएगा। अमावस्या पर होने वाले धार्मिक काम करने में किसी भी तरह का दोष नहीं रहेगा। स्नान-दान और पूजा-पाठ किए जा सकेंगे।
अमावस्या पर होने वाले इस सूर्य ग्रहण के 15 दिन बाद यानी 5 मई को उपच्छाया चंद्र ग्रहण रहेगा। जो सिर्फ टेलिस्कोप या किसी विशेष यंत्र से देखा जा सकेगा। ये ही वजह है कि इसका भी महत्व नहीं रहेगा।
ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया में दिखेगा
20 अप्रैल, गुरुवार को लगने वाला सूर्य ग्रहण अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, फिलिपिंस, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के दक्षिणी हिस्सों में दिखेगा, इसलिए इन जगहों पर इस ग्रहण का असर भी रहेगा।
भारतीय समय के मुताबिक ये पूर्ण सूर्य ग्रहण सुबह करीब 7:04 पर शुरू होकर दोपहर 12:29 पर खत्म होगा। करीब 5 घंटे 25 मिनट के इस ग्रहण में 1 मिनिट 12 सेकंड तक वलयाकार स्थिति बनेगी।
सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय महत्व
वैशाख अमावस्या पर लगने वाले सूर्य ग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं रहेगा, लेकिन ये खगोलिय और ज्योतिषीय नजरिये से खास माना जा रहा है। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस ग्रहण का असर 12 राशियों के साथ ही देश-दुनिया पर भी पड़ेगा।
इस कारण प्राकृतिक आपदाएं आने और राजनीति बदलाव होने के संकेत दिख रहे हैं। साथ ही इस ग्रहण से कई लोग मानसिक तौर से परेशान भी रहेंगे।
अगला सूर्य ग्रहण सर्व पितृ अमावस्या पर
अब अगला सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को लगेगा। ये 2023 का दूसरा और साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा। ये वलयाकार सूर्य ग्रहण अश्विन मास की अमावस्या यानी सर्वपितृ अमावस्या पर रहेगा, लेकिन भारत में नहीं दिखेगा। इस कारण इसका धार्मिक महत्व नहीं रहेगा। जिससे पितृ पर्व पर किए जाने वाले स्नान-दान और पूजा पाठ में सूतक का दोष नहीं लगेगा।