अल्हागंज- 31 मार्च 2023. न्यायालय से हरी झंडी मिलने से पहले कस्बे की राजनीति गलियारों मे तमाम तरीके से चर्चाऐ व गणित लग रहे थे जिसके बाद सभी की रडार आरक्षण पर टिकी थी वृहस्पतिवार की शाम मठाधीशों के गणित रख्खे के रखे रहे गये और सीट पिछडा वर्ग महिला हो गयी। जिसके बाद नगर की चर्चाऐ विराम दे गयी और अब नये गणित पर चर्चाऐ शुरू हो गयी है।
पूर्व की भांति किसे मिलेगा भाजपा का सिंबल
2017 मे भाजपा से दो प्रत्याशियों की चिंता भाजपा का सिंबल था लेकिन इस बार भी वही कंडीशन देखने को मिल रही सभी अपना अपना दावा ठोक रहे है। सूत्रो की मांने तो इस बार एक तरफ वर्तमान चेयरमैन राजेश वर्मा कि पत्नी राखी वर्मा है तो दूसरी तरफ गौरव गुप्ता की पत्नी स्नेहा गुप्ता अब भाजपा किसे सिंबल देकर चुनाव लडाऐगी यह कहना मुश्किल है पर गलियारों में चर्चाऐ तेज हो गयी है वही प्रत्याशियों ने जनता के बीच जाना शुरू कर दिया है वही वोट बैंक की बात की जाऐ तो विस्तार होने के बाद वर्मा वोट नगर मे बड गया है तो उधर वैश्य वोंट बैक भी बराबर की टक्कर दे रहा है। वही चर्चाओ की माने तो अभी सपा से प्रत्याशी सामने न के बराबर आऐ है बात करे राजू शाह की तो वह दो बार चुनाव लड चुके पिछली बार सपा से लडने के बाद दूसरे नम्बर पर आऐ थे। उनका कारोबार तो दिल्ली मे है पर आवास कस्बे मे होने पर वह जनता के बीच आते रहते है वही उनके वोट बैंक देखा जाऐ तो लगभग 4000 वोट वैंक उनकी विरादरी का होगा। सामान्य सीट पर लडने बाले प्रत्याशी भी सिंबल बाले की मदद करेगे वही प्रभाशंकर की बात की जाऐ तो इस बार सामान्य सीट पर उनकी किस्मत साथ दे रही थी और जनता के बीच उनकी चाहत बड रही थी। इस बार जनता उन पर दाव लगाने बाली थी। लेकिन सीट बदलने के बाद जनता उनके फैसले के इंतजार की चर्चा बड गयी है। अब देखना है कि कौन सी पार्टी किस पर दाव आजमाती है। टिकट किलियर होने के बाद ही जनता तय करेगी चेयरमैन।
--कुछ इस तरह रहा नगर पंचायत का इतिहास--
अल्हागंज में अभी तक हुए नगर पंचायत चुनाव में ज्यादातर भाजपा के ही चेयरमैन जीतते आए हैं। इसलिए यह सीट परंपरागत भाजपा की सीट कही जाती है। आजादी के बाद नगर पंचायत का चुनाव 1989 में पहली बार हुआ था, जिसमें स्वर्गीय प्रयाग नारायण गुप्ता निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चेयरमैन बने थे।
वर्ष 1995 में इन्होंने BJP के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता था। वर्ष 2000 में हुए चुनाव में स्वर्गीय श्री गुप्ता की पुत्रवधू चंद्रेश गुप्ता ने बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर ही जीत हासिल की थी। वर्ष 2006 में श्री गुप्ता के पुत्र अनिल गुप्ता BJP के चुनाव चिन्ह पर ही चुनाव लड़े थे, जिसमें सपा के प्रत्याशी सगीर अहमद से चुनाव हार गए थे। वर्ष 2012 में हुए चुनाव में चंद्रेश गुप्ता ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर सपा प्रत्याशी सगीर अहमद को हराया था। इस प्रकार अल्लाहगंज नगर पंचायत चेयरमैन पद पर BJP के प्रत्याशियों का ही कब्जा रहा है। इस बार
चेयरमैन पद पिछड़ा वर्ग महिला आरक्षित घोषित हो जाने से बीजेपी के सिंबल की मांग के लिए दो ही चेहरे सामने आऐ है एक तरफ चेयरमैन राजेश वर्मा उर्फ बेचेलालकी पत्नी राखी वर्मा वही दूसरी तरफ स्नेहा गुप्ता जिनका परिवार हमेशा BJP से ही जुड़ा रहा है। इनके जेष्ठ ससुर स्वर्गीय विनोद कुमार गुप्ता शाहजहांपुर जनपद से BJP के युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने थे। स्वर्गीय श्री गुप्ता प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के पुराने परम मित्र थे। वही पूर्व विधायक शरदवीर सिंह से भी इनके सम्बंध अच्छे होने के कारण चर्चाऐ बढ गयी।
-निर्दलीय प्रत्याशी बडी विटिया की चर्चाऐ तेज-
वही निर्दलीय की बात करे तो इस बार अभी तक एक ही चेहरा बडी विटिया शिवकिशोर प्रजापति का सामने आया है उनकी भी चर्चाऐ गलियारों में तेज हो गयी है गरीबो की मदद करने का लाभ शिवकिशोर प्रजापति को मिल सकता है/