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सोमवती अमावस्या परिघ योग और शिव योग में


  •  जो आमवस्या सोमवार के दिन होती है, वह सोमवती अमावस्या होती है. इस बार फाल्गुन अमावस्या सोमवार के दिन है, इसलिए फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पाप मिटते हैं. इस दिन सुहागन महिलाएं पति के दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं. स्नान दान और पूजा से अक्षय फल की प्राप्ति होती है, जो काफी समय तक व्यक्ति के साथ रहता है. सोमवती अमावस्या को माता पार्वती, भगवान शिव और पीपल के पेड़ की पूजा होती है. इस दिन तीर्थ स्थान पर भी स्नान से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है. आइए जानते हैं कि सोमवती अमावस्या किस तारीख को है और उसकी तिथि क्या है?

सोमवती अमावस्या 2023 तिथि

पंचांग के अनुसार, 19 फरवरी दिन रविवार को शाम 04 बजकर 18 मिनट से फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि प्रारंभ हो रही है. 20 फरवरी दिन सोमवार को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक अमावस्या तिथि मान्य रहेगी. ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, फाल्गुन अमावस्या या सोमवती अमावस्या 20 फरवरी को है.

परिघ और शिव योग में है सोमवती अमावस्या

इस साल की पहली सोमवती अमावस्या परिघ योग और शिव योग में है. 20 फरवरी को परिघ योग प्रात: काल से लेकर सुब​ह 11 बजकर 03 मिनट तक है, उसके बाद से शिव योग प्रारंभ हो रहा है.

सोमवती अमावस्या 2023 स्नान दान मुहूर्त

20 फरवरी को सोमवती अमावस्या का स्नान और दान प्रात:काल में सूर्योदय के समय से प्रारंभ हो जाएगा. इस दिन सुबह 06 बजकर 56 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 20 मिनट तक अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त है. उसके बाद सुबह 09 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 10 मिनट तक शुभ-उत्तम मुहूर्त है. अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त में स्नान और दान करना उत्तम रहेगा.

सोमवती अमावस्या पर है पंचक

सोमवती अमावस्या के दिन 20 फरवरी को पंचक लगा है. य​ह पूरे दिन रहेगा. इस दिन गौरी के साथ शिववास दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है.

सोमवती अमावस्या का महत्व

सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है. पीपल की पूजा करने से पितृ देवों का आशीष मिलता है. सोमवती अमावस्या पर सुबह स्नान के बाद पितरों को तर्पण,​ पिंडदान या श्राद्ध कर्म करना चाहिए. इससे पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष भी दूर होता है.

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