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आधुनिक समय में भी गीता का महत्व उतना ही है जितना प्राचीन काल में था : प्रो. आजाद


  • शाहजहांपुर। गीता जयंती पर एस.एस. पीजी कॉलेज के संस्कृत विभाग कला संकाय में गीता जयंती के अवसर पर श्रीमद भगवत गीता के अंतर्गत दैवी संपदा की वर्तमान समय में आवश्यकता विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव प्रोफेसर डॉ. अवनीश कुमार मिश्रा, महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर डाॅ. राकेश कुमार आजाद, मुख्य अतिथि डॉ. हरिशंकर झा, उप प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. अनुराग अग्रवाल एवं संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश कुमार ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

कार्यक्रम की विषय स्थापना करते हुए डॉ. विकास खुराना ने कहा कि दुनिया के विभिन्न धर्म ग्रंथों में श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व पूर्ण स्थान है। संसार का ऐसा कोई विषय नहीं है जिसका वर्णन श्रीमद्भगवद्गीता में न किया गया हो, गीता के सोलहवें अध्याय में दैवासुर संपद विभाग योग में देव संपत्तियों का वर्णन है। भय का अभाव, अंतःकरण की पूर्ण निर्मलता, दया, क्रोध न करना निंदा न करना क्षमा, अहिंसा एवं धैर्य आदि ऐसी देवी संपत्तियों का वर्णन है जो मनुष्य जाति के कल्याण के लिए आवश्यक है। दैवीसम्पत संस्कृत ब्रह्मचर्य महाविद्यालय के प्राचार्य एवं मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. हरिशंकर झा ने गीता दर्शन के महत्व पर अपने विचार रखे एवं गीता दर्शन का प्रतिपादन किया कि गीता दर्शन मानव जाति के कल्याण के लिए दिया गया है यह ईश्वर का वरदान है गीता के अध्ययन मनन के परिणाम स्वरुप ही व्यक्ति का कल्याण होता है भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश के बहाने संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए गीता का गान किया। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. राकेश कुमार आजाद ने गीता के महत्व का वर्णन करते हुए कहा कि आधुनिक समय में भी गीता का महत्व उतना ही है जितना प्राचीन काल में था आज मनुष्य मानवीय गुणों का त्याग करके पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आकर भौतिकतावादी हो गया है। वह जनकल्याण की भावनाओं से दूर हो गया है एवं व्यक्तिगत सांसारिक वस्तुओं की प्राप्ति के लिए ही प्रयासरत है। महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव प्रोफ़ेसर डॉ. अवनीश मिश्रा ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि गीता में ज्ञान कर्म एवं योग का सुंदर समन्वय है व्यक्ति को अनासक्त भाव से लोक कल्याण के लिए कर्म करना चाहिए तभी विश्वकल्याण की इच्छा पूरी हो सकती है भारतीय संस्कृति "वसुधैव कुटुंबकम" की पोषक है। कार्यक्रम के आयोजन में डाॅ.श्रीकांत मिश्र ने सक्रिय भूमिका का निर्वाहन किया, कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ प्रमोद कुमार यादव ने किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. अखिलेश कुमार द्वारा आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में डाॅ. हरीशचंद्र श्रीवास्तव प्रो. डॉ आदित्य कुमार सिंह जी प्रो. डॉ. मधुकर श्याम शुक्ला, प्रो. डाॅ. पूनम, डॉ. आदर्श पांडे डॉ दीपक सिंह डॉ धर्मवीर सिंह डॉ. दीपक दीक्षित डॉ सुजीत वर्मा डाॅ. दुर्गविजय डॉ. राजीव कुमार, डॉ. शिशिर शुक्ला डॉ. संदीप वर्मा डॉ. बलवीर शर्मा मृदुल पटेल डॉ. सुखदेव डॉ. प्रतिभा शर्मा सहित महाविद्यालय के अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित रहें।

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