पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक किसी ग्रह का अस्त होना बहुत महत्वपूर्ण घटना है। हर साल कुछ दिनों के लिए आकाश में ग्रह दिखाई नहीं देते हैं क्योंकि वे सूर्य के बहुत करीब आ जाते हैं। इसे ग्रह का अस्त या लोप होना भी कहा जाता है।
शुक्र अस्त और उदय का समय
2 अक्टूबर से 20 नवंबर तक सूर्य से शुक्र की दूरी 10 डिग्री से भी कम रहेगी। इसी स्थिति को शुक्र का अस्त होना कहा जाता है। अस्त होने पर इस ग्रह का असर कम हो जाएगा। इस साल ये 50 दिनों के लिए अस्त हो रहा है।
शुक्र ग्रह अस्त: 2 अक्टूबर, रविवार को सुबह 5.50 पर शुक्र ग्रह उदय: 20 नवम्बर, रविवार को शाम 5.50 तक
शुक्र के शुभ फल में आएगी कमी
2 अक्टूबर को कन्या राशि में शुक्र के अस्त होने से इसका प्रभाव कम हो जाएगा और शुभ फलों में भी कमी आने लगेगी। शुक्र विलासिता का कारक ग्रह है। इसलिए इसके प्रभाव से सभी राशि वालों को हर तरह के सुख में कमी आ सकती है।
शुक्र के कारण कई लोगों के वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। मुहूर्त चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार शुक्र अस्त होने के दौरान हर तरह के शुभ और मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं। जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मांगलिक कामों की खरीदरी और अन्य संस्कार पूरे नहीं किए जा सकेंगे। इसके बाद 20 नवंबर को शुक्र के उदय होने पर शुभ काम हो पाएंगे।
नहीं हो सकेंगे विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ काम
शुभ और मांगलिक मुहूर्त में गुरु और शुक्र का उदय रहना बहुत ही जरूरी होता है। इनके अस्त होने पर किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक काम नहीं किए जा सकते हैं। 2 अक्टूबर को पश्चिम दिशा में शुक के अस्त होने से विवाह, मुण्डन, सगाई, गृहारम्भ, गृह प्रवेश, सूरज पूजा, प्रॉपर्टी और अन्य मांगलिक कामों की खरीदारी नहीं की जा सकती है।