नवरात्रि में जवारे बोए जाने की परंपरा है। इसमें ज्यादातर जगहों पर जौ बोते हैं। कहीं तिल भी बोए जाते हैं। कुल मिलाकर ऐसा करने के पीछे वजह एक ही है। वो ये कि नई फसल देवी को अर्पित करना। जौ, तिल और चावल को हविष्य अन्न कहा जाता है। यानी हवन में इस्तेमाल किए जा सकने वाले धान। ये पूजनीय अन्न है। इसलिए नवरात्रि में देवी पूजा की शुरुआत में ही जवारे बौए जाते हैं।
अन्न के सम्मान का संदेश
नवरात्रि में जौ बोने की इस परंपरा के पीछे तर्क यह है कि सृष्टि के शुरुआत में जौ ही सबसे पहली फसल थी। जौ बोने की ये प्रथा हमें सीख देती है कि हम हमेशा अपने अन्न और अनाज का सम्मान करें। इस फसल को हम देवी को अर्पित करते हैं। इस जौ (जवारे) को उगाया जाता है। पूजा घर में जमीन पर जौ को बोते समय मिट्टी में गोबर मिलाकर मां दुर्गा का ध्यान करते हुए जौ बोए जाते हैं।
जवारों से जुड़ीं 3 खास बातें
1. दुर्गा पूजा में जौ तेजी से बढ़ते हैं तो ये घर में सुख-समृद्धि बढ़ने का संकेत होता है।
2. इसे हवन के समय देवी-देवताओं को भी अर्पित किया जाता है। इनका मुरझाना और ठीक से न बढ़ना अशुभ माना जाता है।
3. नवरात्रि के दौरान होने वाली कलश स्थापना के समय उसके नीचे मिट्टी रखकर जल एक लोटा चढ़ाने का महत्व है।
4. जौ बोने के पीछे पौराणिक वजह या धार्मिक मान्यता ये भी है कि अन्न ब्रम्हा है। इसलिए अन्न का सम्मान करना चाहिए।
5. पूजा घर में जमीन पर जौ को बोते समय मिट्टी में गोबर मिलाकर मां दुर्गा का ध्यान करते हुए जौ बोए जाते हैं।