- शाहजहांपुर। खिरनीबाग की श्री रामलीला में कुंभकरण वध, नागपाश द्वारा रामा दल को बांधना मेघनाथ वध का मंचन किया गया। इसी क्रम में सर्वप्रथम लंकेश को जब पता चला राम का छोटा भाई लक्ष्मण मूर्छा से जाग गए हैं। तो रावण ने अपने महाबली भाई कुंभकरण को जगाने का आदेश अपने सैनिकों को दिया। कुंभकरण के जागने पर उसे मदिरापान कराया गया एवं खाने के लिए स्वादिष्ट स्वादिष्ट वस्तुएं दी गई।
किंतु फिर भी कुंभकर्ण रावण को ज्ञान देने लगा तब रावण ने सैनिकों को और मद्यपान कराने के लिए कहा अत्यधिक नशे में होने के बाद कुंभकरण युद्ध क्षेत्र की ओर चल दिया और युद्ध क्षेत्र में जाकर हाहाकार मचा दिया। समस्त वानर सेना डर के मारे इधर-उधर भागने लगी तब राम ने हाथों में धनुष लेकर उसके साथ युद्ध किया और इस युद्ध में रामद्वारा कुंभकरण का वध हुआ। इसके बाद जब मेघनाथ को अपने चाचा के मारे जाने की खबर मिली तो मेघनाथ क्रोध में आग बबूला हो गया। और उसी समय रामा दल में जाकर नागपाश द्वारा पूरे रामा दल को बांध लिया। किंतु उस नागपाश से निकलने की युक्ति नारद द्वारा बताई गई तब गरुड़ द्वारा रामा दल को उस नागपाश से मुक्ति मिली मुक्त हो जाने के बाद जब यह खबर रावण को पता लगी तब रावण ने अपने पुत्र मेघनाथ को विजय यज्ञ करने की सलाह दी। ताकि युद्ध में कोई उसको पराजित ना कर सके और मेघनाथ विजय यज्ञ में जाने से पहले अपनी अर्धांगिनी सुलोचना के कक्ष में गया सुलोचना और मेघनाथ के दृश्य को देखकर दर्शक भाव विभोर हो गए और खूब वाहवाही की किंतु जब मेघनाथ निकुंभ स्थल में यज्ञ कर रहा था तभी विभीषण ने राम को आकाश मार्ग में धुआं उठने का कारण बताया तब तब राम ने लक्ष्मण को युद्ध में भेजा उनके साथ वीर हनुमान, अंगद, विभीषण आदि लोगों ने निकुंभस्थल जाकर मेघनाथ से भीषण युद्ध किया और अंततः उसका वध कर दिया।तत्पश्चात मेघनाथ की पत्नी सुलोचना के करुण विलाप से दर्शकों की आंखों में आंसू निकल आए और सुलोचना के चरित्र को देखकर सभी दर्शकों ने खूब प्रशंसा की अंत में सुलोचना ने अपने पति का शीश रामा दल से लाने की घोषणा की और रामा दल में जाकर राम से अपने पति के कटे हुए शीश को ले आई और उसके साथ उसने अपने आपको सती कर लिया।