इलेक्शन कमिशन सरकार को अधिसूचना के लिए प्रस्ताव भेजती है और सरकार अधिसूचना जारी करती है. अभी तक राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है, क्योंकि अभी सरकार नए नगर पंचायतों के गठन के साथ ही नगर निकायों की सीमा के विस्तार के कार्यों को करने में लगी हुई है. जब सरकार अपना यह कार्य पूरा कर लेगी तो उसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग उस आधार पर वोटर लिस्ट तैयार करेगी, जिसमें लगभग डेढ़ महीने का समय लगेगा.
राज्य निर्वाचन आयोग के विशेष कार्याधिकारी एसके सिंह बताते हैं कि, फिलहाल 15 नवंबर के बाद ही आयोग अधिसूचना के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजेगी. हालांकि स्टेट इलेक्शन कमीशन नगर निकाय के चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है और वह लगातार सरकार द्वारा नए नगर पंचायतों के गठन और नगर निकाय सीमा के विस्तारों पर नजर बनाए हुई है.
राज्य निर्वाचन आयोग नई नगर पंचायतों की सूची भी इकट्ठा कर रही है, ताकि आने वाले समय में वोटर लिस्ट बनाने में कम समय लगे. एसके सिंह ने आगे बताया कि,आरक्षण का जो प्रावधान है उसे भी सरकार ही करती है और उसके लिए जो नगर निकाय चुनाव होना है उसमें पूरे प्रदेश के ओबीसी,एससी/एसटी और जनरल कैटेगरी वालों की जनसंख्या निकाली जाती है. इसमें सबसे पहले एसटी की जनसंख्या को फिगर आउट किया जाता है,फिर यह देखा जाता है कि उस क्षेत्र में कितनी सीटें आती हैं. उसका मूल्यांकन किया जाता है और फिर उसको आरोही क्रम में रखते हैं. उनमें जो टॉप पापुलेटेड होते हैं उनको आरक्षण दिया जाता है.
बता दें कि,बीते जुलाई माह में यूपी सरकार ने कैबिनेट बैठक में नगर निकाय चुनाव के चलते,प्रदेश में 18 नई नगर पंचायतों के गठन करने और साथ ही 20 नगर निकायों के सीमा विस्तार करने का फैसला लिया था, जिसके लिए कैबिनेट मीटिंग में प्रस्ताव रखा गया और सीएम की अध्यक्षता में मंजूरी भी प्रस्ताव की मिल चुकी है.