- सोमवार। 30 मई को शनि जयंती है। ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है। इस दिन शुभ फल पाने के लिए शनि की विशेष पूजा करनी चाहिए। इस दिन पौराणिक महत्व वाले शनि मंदिर में दर्शन करना चाहिए।
कोलकाता की एस्ट्रोलॉजर डॉ. दीक्षा राठी के अनुसार जब सोमवार को अमावस्या रहती है तो इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। सोमवार की अमावस्या का महत्व काफी अधिक माना गया है। सोमवती अमावस्या पर शिव जी का विशेष रुद्राभिषेक करना चाहिए। इस तिथि पर पितरों के लिए भी धूप-ध्यान करना चाहिए।
ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर यानी शनि जयंती पर शनिदेव को पांच चीजें खासतौर पर चढ़ानी चाहिए। जानिए ये चीजें कौन-कौन सी हैं...
पहली चीज है शमी के पत्ते
शिव जी, गणेश जी के साथ ही शनि को भी शमी के पत्ते विशेष प्रिय हैं। इसीलिए शनि जयंती पर शमी पत्ते शनि देव को जरूर चढ़ाएं।
दूसरी चीज है नीले फूल
शनि को नीले फूल चढ़ाना चाहिए। नीले फूल यानी अपराजिता के फूल। शनि को नीला रंग विशेष प्रिय है। शनि देव नीले वस्त्र धारण करते हैं। इस वजह से शनि को ये फूल चढ़ाना चाहिए।
तीसरी चीज है सरसों का तेल
शनि जयंती पर शनि भगवान का सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए। शनि को तेल चढ़ाने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग शनि को तेल चढ़ाते हैं, उनकी कुंडली के सभी शनि दोष शांत होते हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
चौथी चीज है काले तिल
काले तिल और काले तिल से बने व्यंजन शनि को जरूर चढ़ाना चाहिए। काले तिल का कारक शनि ग्रह ही है। इस कारण शनि के लिए काले तिल का दान भी करना चाहिए।
पांचवीं चीज है नारियल
नारियल सभी देवी-देवताओं की पूजा के लिए बहुत जरूरी माना गया है। शनि जयंती पर शनि देव को नारियल चढ़ाएं।
शनि देव के दस नाम मंत्रों का करें जप
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।
इस मंत्र में शनि के 10 नाम हैं। ये नाम हैं कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद और पिप्पलाद।
ऐसे करें मंत्र जप
शनि देव के मंदिर में शनि पूजा के साथ ही शनि के दस नाम मंत्रों का जप करना चाहिए। इस जप से शनि दोष दूर होते हैं। मंत्र जप कम से कम 108 बार करना चाहिए।