- शाहजहाँपुर। मुमुक्षु आश्रम से संबद्ध पर्यावरण एवं सामुदायिक हितों के प्रति समर्पित संस्था पृथ्वी द्वारा "गंगा शिव के द्वार" कार्यक्रम के अंतर्गत ज्ञानवापी के मुद्दे के त्वरित निस्तारण, अच्छे मानसून तथा राष्ट्र की समृद्धि के लिए हर हर महादेव के जयघोषों के मध्य भगवान बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया गया।
इस अवसर पर मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित देव शरण तिवारी ने कहा कि भगवान शिव की उपासना निराकार एवं साकार दोनो ही रूपों में होती हैं। निराकार रूप में महादेव शिव हैं,शिव का अर्थ है जो वस्तुत है ही नही, विज्ञान कहता है कि सृष्टि शून्य से पैदा हुई तथा इसी में विलीन हो जायेगी, अध्यात्म कहता है कि सृष्टि शिव से पैदा हुई तथा शिव में ही इसका विलीन होना तय है।साकार रूप में महादेव शंकर है जिन्होंने लोक कल्याण के निमित्त विष का पान किया था। एसएस कालेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि भारत की समृद्धि अच्छे मानसून पर निर्भर है। देश हर विपदा का सामना कर सकता है लेकिन अगर वर्षा प्रभावित हो तो उसका प्रतिकार नही हो सकता, देश के करोड़ो किसानों के पास बहुत छोटे छोटे चक हैं, कई जगहों पर यह एक या दो बीघा तक ही सीमित हैं। इन चको में सिंचाई के लिए कोई मशीनी संसाधन नहीं लगे हुए, यह वर्षा निर्भर हैं, अच्छा मानसून राष्ट्र में समृद्धि लाता है,लोगबाग के घर धन धान्य से परिपूर्ण होते है,देश की आर्थिक गतिविधियों का चक्र चल पड़ता है। संस्था के उपाध्यक्ष डॉ. विकास पांडे ने कहा कि ज्ञानवापी का प्रश्न हिंदू धर्म समाज से जुड़ा अहम मुद्दा है। न्यायालय को राष्ट्र की करोड़ो जनता की आस्था को ध्यान में रखते हुए वहां स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक करने तथा पुजार्चन की अनुमति प्रदान कर देनी चाहिए। जब देश विदेशी ताकतों के अधीन था तब हिंदू समाज से जुड़े धर्मस्थलों पर नाजायज अतिक्रमण हुए, हालाकि स्वतंत्र भारत में सबका निस्तारण तो नही हो सकता किंतु प्रमुख देवस्थानो यथा काशी, मथुरा, अयोध्या का निस्तारण आवश्यक है। संस्था सचिव डॉ. धीरज रस्तोगी ने बताया कि संस्था द्वारा प्रत्येक सोमवार शहर के देवालयों में "गंगा शिव के द्वार" कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत भगवान की विशेष पूजा अर्चना,आरती संपन्न की जा रही है,इसके अंतर्गत सावन माह तक एक सौ आठ देवालयों पर जलाभिषेक संपन्न किया जायेगा। पूजन कार्यक्रम के यजमान डॉ. संजय पांडे तथा डॉ. अनिल सिंह रहे जबकि मंत्रोचारण पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा किया गया। इस अवसर पर संस्था निदेशक डॉ. विकास खुराना, सरदार राजू बग्गा, डॉ. मनोज मिश्रा, पुष्पेंद्र दीक्षित, हरि किशोर दीक्षित, अमित चौहान, डॉ. नवनीत तिवारी उपस्थित थे।