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राम नवमी 10 अप्रैल को श्रीराम ने स्थापित किया था रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग

  • 10 अप्रैल को राम नवमी है त्रेता युग में इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां राम के रूप में अवतार लिया था। राम नवमी पर श्रीराम के मंदिरों में दर्शन करने और पूजन करने का विशेष महत्व है। आज जानिए एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में जिसे श्रीराम ने खुद स्थापित किया था। ये मंदिर है बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग 



श्रीराम ने इस ज्योतिर्लिंग को स्थापित किया था इस वजह से यहां दर्शन-पूजन करने से शिव जी के साथ ही श्रीराम की कृपा भी मिलती है। रामायण के अनुसार शिव जी श्रीराम के आराध्य देव हैं। जो लोग शिव पूजा करते हैं, उन्हें श्रीराम की प्रसन्नता भी मिल जाती है। दक्षिण भारत में तमिलनाडू के रामनाथपुरम् में स्थित रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग स्थित है। रामायण के समय यानी त्रेता युग में रावण का आतंक था। रावण से सभी देवी-देवता, ऋषि-मुनि और मनुष्य त्रस्त थे। उस समय भगवान विष्णु ने रावण और उसके जैसे असुरों का अंत करने के लिए राम अवतार लिया था। श्रीराम, लक्ष्मण और सीता वनवास में थे, उस समय रावण ने छल करके सीता का हरण कर लिया था। इसके बाद श्रीराम ने हनुमान जी और वानर सेना की मदद से रावण का वध कर दिया और सीता को मुक्त कराया था। लंका से लौटते समय श्रीराम दक्षिण भारत के समुद्र तट पर रुके थे। लंका विजय के बाद श्रीराम ने दक्षिण में समुद्र तट पर बालू से शिवलिंग बनाया था और उसकी पूजा की थी। ऐसी मान्यता है कि बाद में ये शिवलिंग वज्र के समान हो गया था। एक मान्यता ये भी है कि ब्राह्मण रावण का वध करने से श्रीराम पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया था। उस समय ऋषियों ने श्रीराम से कहा था कि ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए उन्हें शिवलिंग स्थापित करके अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद राम जी ने दक्षिणी समुद्र तट पर बालू से शिवलिंग बनाकर पूजा की थी। ये मंदिर से जुड़ी खास बातें अभी के समय रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की जो इमारत है वह 350 साल पुरानी है। यहां की वास्तुकला और शिल्पकला बहुत ही आकर्षक है। मंदिर पूर्व से पश्चिम तक करीब एक हजार फीट और उत्तर से दक्षिण तक करीब 650 फीट क्षेत्र में बना हुआ है। यहां के मुख्य द्वार पर करीब सौ फीट ऊंचा एक गोपुरम है। रामेश्वरम् मंदिर क्षेत्र में धनुष कोटि, चक्र तीर्थ, शिव तीर्थ, अगस्त्य तीर्थ, गंगा तीर्थ, यमुना तीर्थ आदि पवित्र जगहें बनी हुई हैं। इन सभी तीर्थों जगहों के दर्शन और पूजन के बाद रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाया जाता है। गंगा नदी के जल से किया जाता है ज्योतिर्लिंग का अभिषेक रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का अभिषेक गंगा जल से किया जाता है। इसके लिए गंगा जल उत्तराखंड से यहां पहुंचाया जाता है। आदि गुरु शंकराचार्य ने चार धामों की स्थापना की थी। उनमें रामेश्वरम भी शामिल है। इस मंदिर में ज्योतिर्लिंग के साथ ही शिव जी की प्रतिमाएं भी हैं मंदिर में नंदी की विशाल मूर्ति स्थापित है। ऐसे पहुंच सकते हैं रामेश्वरम् दक्षिण भारत में मदुरै हवाई अड्डा है, वहां से करीब 154 किलोमीटर की दूरी पर रामेश्वरम मंदिर स्थित है। जो लोग रेल से आना चाहते हैं, उन्हें रामेश्वरम स्टेशन आने तक के लिए रेल मिल सकती है। ये शहर देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। 

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