--1000 से लेकर 3000 प्रति दुकान हो रही बसूली--
- अल्हागंज। होली करीब आते ही एक बार फिर मिलावटखोर अपना खेल खेलने की तैयारी में लगे हैं। मार्केट में मिल रही खाने की लगभग सभी चीजों पर यह यकीन करना मुश्किल है कि उनकी क्वालिटी खाने लायक है या नहीं। होली जैसे पर्व पर मिलवाटखोर और भी अधिक सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में इसे लेकर अभी से ही प्रशासन ने कमर तो कस ली है। नकली खोवा से लेकर मिलावटी दूध का कारोबार करने वालों के मंसूबों पर इस बार पानी फेरने का इरादा था। लेकिन अब ऐसा लग नहीं रहा है पिछले 4 दिनो से कस्बें मे आ रही टीम दुकानदारों से बसूली करने में लगी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कस्बे मे चार दिनों से त्यौहार पर हो रही तैयार मिठाई दूध दही आदि मे मिलावटखोरी पकडने टीम तो आ रही है पर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मिलावट न पकडकर त्यौहार का नजराना लेकर जा रही है। अधिकारी कस्बे की चुनिंदा दुकान पर ठहर कर उस दुकानदार से अन्य दुकानों से त्यौहार का 1000 से 3000 तक नजराना बसूल कर वा रहा है। छोटे दुकान दार 1000 की जगह 500 देने पर तू तू मे मे के साथ धमकियां भी मिल रही है। सेंपलिंग न हो जाऐ इस डर की वजह से दुकानदार के सामने नजराना पैस करने के अलावा कुछ नहीं दिख रहा है। इस वजह से मिलावटखोरों के हौसले और भी ज्यादा बुलंद दिख रहे है। पनीर दूध दही घी मिठाई में जमकर मिलावट हो रही इसके बावजूद अधिकारी सजा की जगह मजा देने में लगे है।
दूध में मिलाते हैं रिफाइंड
होली में सबसे अधिक डिमांड दूध की रहती है। इसे लेकर मिलवाटखोरों की चांदी का सीजन आ रहा है। दूध सप्लाई के धंधे से जुडे़ लोग बताते हैं कि मिलावटखोर क्रीम निकाले गए दूध में रिफाइंड मिला देते हैं। इससे दूध में चिकनाई बन जाती है। यदि कोई उंगली पर दूध डालकर जांच करना चाहे, तो उसे पता ही नहीं चल सकता कि क्रीम निकाली जा चुकी है। इतना ही नहीं दूध में सिंघाड़े का आटा और लिक्विड ग्लूकोज भी मिला दिया जाता है। इससे दूध का स्वाद भी ठीक रहता है। जानकार बताते हैं कि कई दूधिए दूध को गाढ़ा करने के लिए मिल्क पाउडर और अन्य रासायनिक पदार्थ भी मिला देते हैं। इससे लोगों की सेहत पर भी काफी असर पड़ता है।
आमतौर पर दूध में तीन तत्व विशेष तौर पर पाए जाते हैं। फैट (वसा) या सामान्य भाषा में कहें तो घी पाया जाता है। दूसरा दूध में एसएनएफ (सॉलिड नॉट फैट) की मात्रा पाई जाती है और तीसरा दूध में पाया जाने वाला तत्व प्राकृतिक पानी है। इन तत्वों में गड़बड़ के कारण दूध अमानक स्तर का हो जाता है।
यह हैं मानक स्तर
सामान्यत: दूध में फैट की मात्रा मानक के अनुरूप होनी चाहिए। भैंस के दूध में 5.5 से नौ प्रतिशत तक फैट, गाय के दूध में 3.5 से 4.8 तक फैट होना चाहिए। जबकि मिश्रित दूध में 4 प्रतिशत से अधिक फैट होना चाहिए। वहीं एसएनएफ की मात्रा भैंस के दूध में नौ प्रतिशत या इससे ज्यादा, गाय के दूध में 8.3 से 8.7 प्रतिशत तक होनी चाहिए।
कैसे बनाया जाता है सिंथेटिक दूध
- सिंथेटिक दूध बनाने के लिए सबसे पहले उसमें यूरिया डालकर उसे हल्की आंच पर उबाला जाता है।
- इसके बाद इसमें कपड़े धोने वाला डिटर्जेट, सोडा स्टार्च, फॉरेमैलिन और वाशिंग पाउडर मिलाया जाता है।
- इसके अलावा इसमें ग्लूकोज रिफाइंड के साथ ही इसमें थोड़ा असली दूध भी मिला दिया जाता है।
ऐसे करें असली और नकली में पहचान
- असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता, नकली दूध कुछ वक्त बाद ही पीला पड़ने लगता है।
- अगर असली दूध में यूरिया भी हो तो ये हल्के पीले रंग का ही होता है। वहीं अगर सिंथेटिक दूध में यूरिया मिलाया जाए तो ये गाढ़े पीले रंग का दिखने लगता है।
- असली दूध को हाथों के बीच रगड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। वहीं, नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटर्जेट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
- सर्वे में एफएसएसआई के मानक के खरे नहीं उतरे 68 फीसद दूध
- मिलावटी दूध कास्टिक सोडा, यूरिया, रिफाइंड ऑयल मिलाने से बनता है।
- नकली मिलावटी दूध के सेवन से हो सकती लिवर, दिल, पेंक्रियाज की समस्या
- मिलावटी दूध से पेट में ऐंठन और अपच की समस्या हो सकती है।
- नकली दूध के सेवन से छोटे बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा बीमार होते हैं।
- मिलावटी दूध कब्ज और हैजा जैसी बीमारियों का कारण भी बनता है।
- नकली और मिलावटी दूध से सबसे ज्यादा पेट संबंधित बीमारियां होती हैं।
- मिलावटी दूध पीने से डायरिया और पीलिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
- नकली दूध से उल्टी और दस्त की शिकायत हो जाती है।