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नीद खुली बारिश की हल्की फुआर से.


 सुहाना मौसम..

नीद खुली  बारिश की हल्की 

फुआर से.

अंगड़िया ले रहा तनमन प्यार से ..

आंख खुली मोबाइल उठाया प्यार से....

संदेश था मित्र का पड़ा प्यार से..

लिखा था कुछ यूं ..

भोर हो गई जाग जा तू...

सो कर ही मत गुजार सुन्दर सुखद पल ...

अब मुझसे मिलने आ जा प्यार से.....

जीवन का कुछ पता नहीं है... 

कौन सा लम्हाआखिरी है...

मिल ले अपने यार से.....

कही मन की मन में न रह जाये अब कुछ पल  बिताए 

आराम से कुछ तू सुना कुछ मैं सुनाऊं  खट्टी मीठी यादों को...

कैसे गुजरे जीवन के पल...

क्या सपने पाले थे मन में..

क्या - क्या पूरा हुआ?

 क्या है ?अधूरा...

याददाश्त कमजोर हो रही....

धुंधली  हो गई  कुछ यादें..

आंख पर चश्मा चढ़ गया...

जोश कम नहीं हुआ ,अभी..

आ जाता घुटनों में दर्द है अब 

कभी -कभी 

घरवालों के  ताने सुनते - सुनते

पक जाता हूं कभी - कभी....

सुनो मित्र!

अभी फुर्सत नहीं है आपको..,

इस भाग दौड़ के जीवन में...

जीवन गाड़ी तेज चल रही..

इस पर थोड़ी  रोक लगा लो..

कहीं चाय की चुस्की अपने मित्र के साथ लगा लो...

कभी प्यार से एक पल का समय बिता लो...

कभी  सुबह  की सैर साथ में थोड़ी गुप्त गूं ...कर लो...

मत भागो  अब घड़ी के पीछे...

कुछ पल बिता लो प्यारसे...

मत बैठिए किसी के इंतजार में...

बस जीवन बिताएं प्यार में..

तो उठिए, मुस्कुराइए, फिर से मुस्कुराइए...

हर पल को अपना बनाइए....

अब खिल खिलाकर हंसिए....

जीवन और किसी के लिए नहीं ...

अब अपने लिए बिताइए....

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S.S Trivedi

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