उठ जाओ रे नंदलाला
उठ जाओ रे नंदलाला ,
अब भोर भई ना।
भानु भए लाल,
राग भैरव सुनो ना।
उठ जाओ रे नंदलाला ,
अब भोर भई ना।।
मोर मन मोहे,
नृत्य निधिवन करे।
कोकिल कुहूक,
संग शोर करे ना।
उठ जाओ रे नंदलाला ,
अब भोर भई ना।।
चंचल चटका चहक बुलावै।
तरु तरुवर तोहें चंवर डुलावै।
मधुवन बयार मधु भेंट देवे ना।
उठ जाओ रे नंदलाला,
अब भोर भई ना।।
मंदिर घंट घड़ियाल बजे,
संग आरती के थाल सजे,
अर्चना प्रार्थना तोहें,
करि करि जगावे ना,
उठ जाओ रे नंदलाला
अब भोर भई ना।।
स्वरचित_मौलिक_अर्चना आनंद गाजीपुर उत्तर