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अवैध खनन पर्यावरण को खतरा प्रेसिडेंट पोर्टल पर शिकायत

 

--खनन माफियाओ से खुद को बताया खतरा

  • शाहजहांपुर । खुले आम हो रहा खनन भी पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। खनन के बाद निकाली गई रेत व बालू हवा में उड़ कर शुद्ध वायु को दूषित करती है। जिसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। सांस के साथ रेत के कण हमारे फेफड़ों में पहुंच जाते है। जिससे नई नई बीमारियां शरीर में घर बना लेती है। इस सब के बावजूद भी अवैध खनन से निपटने को लेकर पुलिस व प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। जिसके लिए एक ग्रामीण द्वारा प्रेसिडेंट पोर्टल पर खुद को खनन माफियाओं से खतरा बताकर जांच की मांग की गयी है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार कस्बे के क्षेत्र के एक ग्रामीण ने महामहिम के पोर्टल पर दर्ज शिकायत मे खुद को क्षेत्रिय खनन माफियाओ से खतरा बताते हुए। हुए कहा है कि हो रहे अवैध खनन की वजह से सरकार को राजस्व हानि के साथ ही प्राकृति को दैवीय खनिज की क्षति हो रही है। बेलाखेडा रामगंगा नदी के इस खनन का प्रभाव क्षेत्रिय पर्यावरण पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों ही रुप से पड़ रहा है। इस पर्यावरण में रहने की वजह से इसका असर क्षेत्रिय मानव जीवन पर भी पड़ रहा है, लेकिन कोई भी इस ओर गंभीर समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहा है। जिसके परिणाम आने वाले समय में भयंकर हो सकते है। रामगंगा नदी व आसपास के खेंतो से खनन करके लाई गई रेत या बालू  मिट्टी का परिवहन खुले वाहनों में किया जा रहा है। जो हवा के साथ उड़कर पर्यावरण को दूषित करती है। रेत के सूक्ष्म कण हवा में फैलने से वह सांस लेने पर मानव शरीर के अंदर चले जाते है जो फेफड़ों में एकत्र हो जाता है। इससे मानव शरीर में नई-नई बीमारियां होने लगती हैं। इसके साथ ही खुले वाहनों से रेत के कण हवा में उड़ने की वजह से वह बच्चों की आंखों में गिर जाते है। जिसको रगड़ने पर  आंख में जख्म हो जाते है। इतना ही नहीं कई बार तो रेत व बालू से भरी टैक्टर ट्रालियां ओवरलोड होने की वजह से रास्ते भर रेंत गिराती हुई जाती है। लेकिन इसके बाद भी राजनैतिक संरक्षण में चल रहे खनन के इस कारोबार को शासन व प्रशासन बंद कराने में असमर्थ है। ग्रामीण ने महामहिम से पत्र मे यह भी कहा कि सरकार द्वारा भले ही अवैध खनन पर रोक लगा दिया गया है लेकिन यहां पर आज भी  इस  क्षेत्र में यह खेल जारी है। शाम होते ही अवैध खनन का धंधा शुरू हो जाता है। ग्रामीण सड़कों पर रात भर टै्रक्टर-ट्राली रेता, मिटटी, बालू भरकर दौड़नी शुरु कर देती है। सुबह होने से पहले बंद कर दिया जाता है। यह कारोबार खूब फल फूल रह है। अच्छी इनकम होने के कारण खनन माफिया इस धंधे को छोड़ने को तैयार नहीं है। पुलिस भी इनके खिलाफ कुछ नहीं करती है। इस मामले में जब लोग विरोध या शिकायत करते है तो पुलिस व प्रशासन थोड़ी बहुत तेजी दिखाता है। इसके बाद फिर शांत हो जाता है। इसी का परिणाम है कि अवैध मिटटी खनन का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। ग्रामीण चंद्रमोहन ने सभी समस्याएं पत्र मे लिख स्वयं को भी खनन माफियाओ से खतरा बताया है तथा हो रहे खनन की भूमि की जांच कर कार्यवाही की मांग की है।

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