Type Here to Get Search Results !

आज सुबह जब खिड़की खोली देखा सुंदर नजारा

 

आज सुबह जब खिड़की खोली 

देखा सुंदर नजारा ।

गुफ्तगू कर रहीं थी मैना

कह रही थी कि 

कितना सुंदर है ये जग सारा ।।

सूरज जब निकलता है

प्रकाश ही प्रकाश फैलाता है ।

भेद भाव तनिक भी न करता

समानता सीखलाता है।।

झरने गीत सुनाते है

और मंद ही मंद मुस्काते है।

जानवर मनुष्य पशु पक्छी सबकी प्यास बुझाते है ।।

ना ही जाती धर्म देखते

ना छोटा ना बड़ा ।

सुनकर उनकी गुफ्तगू को 

दिल मेरा भर आया ।।

प्रकृति हमे क्या सिखाती है ।

मनुष्य से ज्यादा ये मैना समझती है ।।

फिर मैं निकल पड़ी शैर  को 

सुबह की हवा खाने को।

तभी देखा गुफ्तगू करते

दो कुत्ते अनजाने को।।

कर रहें थे वे बाते बड़ी समझदारी वाली ।

स्वतंत्रता सबको प्यारी है

यह बात मनुष्य क्यों नहीं समझते।

क्यों ये अपने संग हम जानवरों को बांध कर रखते ।।

पंछियों को पिंजरे में रखते।

गले में हमारे पट्टे टांगते।

खुद तो ये स्वतंत्र है रहते।

हमे भी आजादी प्यारी है

ये बात मनुष्य क्यों नहीं समझते।

जीने का सबको समान अधिकार है 

यह बात क्यों नहीं मानते है।

सुनकर इनकी गुफ्तगू को

आंख मेरी भर आई थी।

बातों में इनकी सचमुच कितनी सच्चाई थी।।

अनिता आचार्य महाराष्ट्र

Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Hollywood Movies



 

AD C