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सारी उलझने मिटा दो, आज मेरी दुर्गा मैया

जय दुर्गा मैया   
    सारी उलझने मिटा दो,
आज मेरी दुर्गा  मैया।
ऊब गई हूँ दुनिया से,
राह दिखाओ मेरी मैया।
अपनो से है उलझन पाईं 
सभी उलझने मिटा दो मैया,
गंगाजल से तन मैल छूटे 
मन का मैल मिटा दो मैया।
धूप दीप मैं सदा जलाऊँ,
ईर्ष्या को तुम जला दो मैया।
उलझन मेरी मिटा दो ,दुर्गा मैया।
अपने और पराए का 
भेद ह्रदय में रहता है
मन से भेद मिटा दो मैया।
दुर्गा मैया मेरी मां ।।
बर्फी पेड़ा सभी चढ़ाने
तेरे दर पर लाते मैया 
मैं भी बर्फी पेड़ा लाई, 
स्वीकार आप करलो यह 
मेरी मीठी वाणी बना दो मैया
जय दुर्गा मैया, जय दुर्गा मैया,
मेरी मन पीड़ा को हर ले दुर्गा मैया।।

सीता सर्वेश त्रिवेदी "काव्या" जलालाबाद, शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश

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