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नवरात्रि के दूसरे दिन होती हे मां ब्रह्मचारिणी की आराधना-लता सेन इंदौर मध्य प्रदेश

 


"या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै  नमो नमः"।।


परम ब्रह्म जिसका आदि न अंत है।


ब्रह्म सरूपा चेतना का स्वरूप है मां ब्रह्मचारिणी।


मां ने शिवजी को पति रूप में पानी के लिए कठोर तप किया था।


तब उन्हें ब्रह्म ज्ञान प्राप्त हुआ और उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।


मां की पूजा अर्चना से  असीमित अनंत शक्तियों का वरदान प्राप्त होता है।


मां के एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप माल होती है।


मां ब्रह्मचारिणी को कमल वी गुड़हल के फूल अर्पित करें।


मां को चीनी मिश्री वह पंचामृत का भोग लगावे।


देवी मां प्रसन्न होकर दीर्घायु एवं सौभाग्य प्रदान करती है।


लता सेन इंदौर मध्य प्रदेश

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