प्रथम नवरात्रि मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है
"या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः"।।
नवरात्रि के प्रथम दिन शैलपुत्री मां का पूजा अर्चना की जाती है।
पर्वत राज हिमालय के घर देवी ने पुत्र रूप में जन्म लिया।
प्रकृति का प्रतीक इसी कारण मां नाम शैलपुत्री पड़ा।
मां शैलपुत्री जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का सर्वोच्च शिखर प्रदान करती है।
मां के दाएं हाथ में त्रिशूल व बाएं हाथ में कमल का फूल है ।
मां शैलपुत्री वृषभ पर सवारी करती है।
मां के स्वरूप को लाल व सफेद रंग अती प्रिय है।
इस दिन लाल व सफेद पुष्प व सिंदूर मां को अर्पित किया जाता है।
मां को गाय के घी व दूध से बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है।
मां शैलपुत्री के पूजा अर्चना से रोगों को दूर भगाया जा सकता है।
मां शैलपुत्री दरिद्रता को मिटा संपन्नता लाती है।
लता सेन इंदौर मध्य प्रदेश
नौ रूपों की नवरात्रि
नौ रूपों की महिमा न्यारी वाणी कह नहीं पाती
नवरात्रि में नवदुर्गा नव नव रूप दिखाती ।
तु अंबे तू ही जगत जननी मां तुझे नमन।
मां तेरे चरणों में कोटि-कोटि नमन।
मैया तेरी कृपा से भवसागर पार हो जाए।
मां तेरी दया से धन धान्य के भंडार भर जाए।
तेरी भव्यता के आगे समस्त सप्त ऋषि समा जाएं।
तेरी गोद में संपूर्ण संसार खिल जाए।
शैलपुत्री रूप में भक्तों पर धन-धान्य लुटाती ।
ब्रह्मचारिणी देवी तप त्याग संयम गुणों को दे जाती।
चंद्रघंटा रूप में शक्ति प्रदायक बन जाती।
कुष्मांडा रूप में देवी उन्नति वैभव सद्बुद्धि देती।
स्कंदमाता के रूप में समस्त कामनाएं पूर्ण कर मानव जीवन संवारती।
मां कात्यायनी के रूप में अलौकिक तेज फैलाती।
मां कालरात्रि भक्तों को शुभता का फल देती भय मुक्त करती।
महागौरी रूप संतति वरदायिनी श्वेत वस्त्र धवल सृष्टि सज जाती।
सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों को प्रदान करती है।
मां की श्रद्धा भक्ति मन में बसे नव वरदानों से संवारती।
नवरात्रि में नव दुर्गा नव नवरूप दिखाती।
नौ रूपों की महिमा न्यारी वाणी कह नहीं पाती।
लता सेन इंदौर मध्य प्रदेश