मां कुष्मांडाको नमनसूर्य की रश्मि धरा पर
मैं जागी नई भोर भई।
ध्यान धरा मां कूष्मांडा का,
जग को बनाने बाली मां...
का हदय से आभार करू।।
सत्कार करूं,
मैं क्या मैया,सब तेरा दिया हुआ।
चरणों की धूल लगाएं माथे,पर
आशीष तुम्हारा मिला हुआ।
तकदीर बनाई सुंदर मां,
दिए खुशियों के सारे खजाने मां।।
कर्म भी तुमसे, धर्म भी तुमसे,
जिसको मैया निभा रही हूं।।
जो प्रेम दिया तुमने मैया ,
उस ही से तुमको बुला रही
हर सुख सुविधा दी तुम्हारी मां
हैं कोटि कोटि नमन मां..
आप ने ही शिखर पर पहुंचाया ..मां
सीता सर्वेश त्रिवेदी जलालाबाद शाहजहांपुर