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आजादी की स्वर्णिम-गाथा के वर्णन को नमन करें

 

आजादी की स्वर्णिम-गाथा के वर्णन को नमन करें।

गाँधी के आत्मिक ज्ञान और शास्त्री के दर्शन को नमन करें।


दो  अक्टूबर को फूल खिले महँके धरती और गगन।

लहरों  ने मिल गीत सुनाए जन्में जब अनमोल रतन।

स्वागत करती  वर्षा आई महँकी-महँकी आई पवन।

करो मरो का नारा देकर  खूब जगाया जन गण मन।

जय जवान जय किसान  आबाद हमेशा  वतन करें।

दोनों  महापुरुषों  के चरणों  में  झुक कर नमन करें।

गाँधी के आत्मिक ज्ञान और शास्त्री के दर्शन को नमन करें।


असहयोग आंदोलन में दोनों  मिलकर साथ लड़े थे।

भारतछोड़ो आंदोलन में दोनों ही सीना तान खड़े थे।

देश की खातिर दोनों ने हवा खूब जेल की खाई थी।

तब  जाकर  हमनें अंग्रेजों से  यह आजादी पाई थी।

हम अपनी भारत माता के कण कण को चमन करें।

देशहित में लड़ने वाले वीरों के तर्पण को नमन करें।

गाँधी के आत्मिक ज्ञान और शास्त्री के दर्शन को नमन करें।


गाँधी अहिंसा के बने पुजारी गीता जी का ज्ञान दिया।

शास्त्री बने 'मसीहा'  किसानों  को जीवन दान दिया।

दोनों  शांति - दूत बन उभरे अहिंसा का मान किया।

चरखा कात हाथ से  निज  खादी का सम्मान किया।

अब हम भी स्वदेशी अपनाए  विदेशी का दमन करें।

लाल बहादुर शास्त्री  के राष्ट्र - चिंतन को नमन करें।

गाँधी के आत्मिक ज्ञान और शास्त्री के दर्शन को नमन करें।


राम कुमार प्रजापति

अलवर, राजस्थान

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