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राम सिया का प्रेम हमें , जीवन पाठ सिखता है


  राम सिया का प्रेम हमें ,

जीवन पाठ सिखता है ।

साथ रहो तन ,मन से,

यही भाव दिखता है 


जब भी कोई रावण रूपी,

दानव जीवन में आए।

सिया रूप में जब इस जग में, 

नारी का अपमान करें ।

राम रूप में देखो कैसे, 

सिया का सम्मान करें ।

पग- पग पर  दिया साथ ,

देखो प्रभु श्री राम ने,

मर्यादा का पालन ही 

हमको राम बनता है।


कितनी शक्ति चाहे हो, 

ज्ञान भरा हो रावण सा ,

जीते तीनों लोक हो।

चाहे देवों के घर से हो,

बिन मर्यादा के सच मानो

विनाश तुम्हारा निश्चित है,

यह संदेश भी हम सबको

रावण चरित्र बताता है।


पर स्त्री पर नजर डालना 

कुल का नाश कराता है ,

मर्यादा का पालन ही ,

सच्चा जीवन सिखाता है।

संकट चाहे कितने हो।

हमें नहीं घबराना है ।

सिया राम सा जीवन ही,

अब हमको अपनाना है। 

विजयदशमी शुभ अवसर पर 

विजय पताका फहराना है। 



 सीता सर्वेश त्रिवेदी

जलालाबाद, शाहजहांपुर


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