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करवा चौथ आज शाम 7 से रात 9 बजे तक देशभर में दिख जाएगा चंद्रमा


  •  पति की लंबी उम्र के लिए आज महिलाएं करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। सुहागन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखेंगी। शाम को सौलह श्रंगार से सजने के बाद महिलाएं सबसे पहले गणेश जी की फिर चौथ माता की पूजा करेंगी। इसके बाद चंद्रमा के दर्शन कर के अर्घ्य दिया जाएगा। फिर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोला जाएगा। इस व्रत से महिलाओं की भी उम्र बढ़ती है।

आज शाम 7 से रात तकरीबन 9 बजे तक देशभर में चंद्रमा दिख जाएगा। जो कि पूर्व-उत्तर दिशा के बीच नजर आएगा। पंडितों का कहना है कि मौसम की गड़बड़ी के चलते कभी चंद्रमा न दिखे तो शहर के मुताबिक चंद्र दर्शन के समय पर पूर्व-उत्तर दिशा में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा कर सकते हैं।

रोहिणी नक्षत्र में होगा चंद्र दर्शन, पांच शुभ योग भी बन रहे हैं

इस बार करवा चौथ पर ग्रहों की खास स्थिति से 5 शुभ योग बन रहे हैं। चंद्रमा अपनी उच्च राशि और रोहिणी नक्षत्र में बृहस्पति के साथ है। जिससे गजकेसरी राजयोग बन रहा है। इसके साथ ही बुधादित्य, पारिजात, शश और लक्ष्मी योग भी बन रहा है। इन योग के प्रभाव से व्रत और पूजा का शुभ फल और बढ़ जाएगा।

साल में 12 चतुर्थी व्रत, लेकिन कार्तिक महीने की करवा चौथ खास

साल में 12 चतुर्थी व्रत होते हैं। हर महीने पति की लंबी उम्र के लिए चौथ व्रत में गणेश पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है, लेकिन कार्तिक महीने में आने वाली ये चतुर्थी बेहद खास है। इस व्रत का जिक्र वामन, नारद, पद्म सहित कई पुराणों में है। इनके मुताबिक समृद्धि और सौभाग्य के लिए किए जाने वाले इस करवा चौथ व्रत से पति-पत्नी, दोनों की उम्र भी बढ़ती है।

सतयुग, त्रेता और द्वापर युग में भी किया गया पति के लिए व्रत

पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने की परंपरा सतयुग से चली आ रही है। इसकी शुरुआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई। जब यम आए तो सावित्री ने अपने पति को ले जाने से रोक दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया। तब से पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किए जाने लगे।

त्रेतायुग में इक्ष्वाकु, पृथु और हरिशचंद्र के समय से रघुकुल में पतियों के लिए व्रत किया गया। द्वापर युग में पांडवों की पत्नी द्रौपदी की है। वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे। द्रौपदी ने अुर्जन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के बाद अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए।


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