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बाप-बेटे ने तीन लोगों को गोली नहीं मारी बल्कि वर्चस्व कायम किया

 

लखनऊ से करीब 32 किलोमीटर दूर मलिहाबाद के मोहम्मदनगर में शुक्रवार यानी 2 फरवरी को दोपहर का माहौल आम दिनों की तरह था। फरीद मिया के घर के बाहर बनी मस्जिद पर लोग आ जा रहे थे। ग्रामीण घर के अंदर और बाहर आसपास में बातचीत कर रहे थे, तो कुछ अपने काम में जुटे थे।

शाम को करीब 3 बजकर 40 मिनट पर अचानक गब्बर थार गाड़ी तेजी से गांव में आता है। उसकी इतनी दहशत थी लोग इधर-उधर होने लगे। तभी गब्बर की गाड़ी फरीद के गेट के अंदर जाती है और फरीद को गाली देते हुए बाहर आने के लिए गब्बर ललकारता है। तभी चंद कदम दूर रहने वाले मुनीर भी पहुंच जाते हैं। फरीद की पत्नी विरोध करती है।कोई कुछ समझ पाता कि इससे पहले गब्बर थार से राइफल निकाल कर फरीद के घर पर फायरिंग करता है और देखते ही देखते फरीद की पत्नी, बेटा और चचेरा भाई मुनीर खून से लथपथ जमीन पर पड़े होते हैं। फरीद की घर की चौखट और दीवारों पर खून ही खून नजर आ रहा था।चीखपुकार के बीच दहशत के इस एक मिनट के माहौल ने फिर जहां गब्बर का वर्चस्व गांव में कायम कर दिया वहीं पुलिस-प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया। दहशत इतनी कि कोई आरोपियों के खिलाफ जुबान खोलने को तैयार नहीं। क्योंकि जिस तरह से आरोपियों ने दिनदहाड़े घटना को अंजाम दिया, उससे वह सभी सहमे हुए हैं।मलिहाबाद के मोहम्मदनगर से करीब दो किलोमीटर दूर जाने पर मीठेनगर जगह पड़ती है। जहां फरीद, उनके परिजनों और लल्लन उर्फ गब्बर के नाम करीब 20 बीघा जमीन है। जिस पर आम का बाग है। 20 साल से बंटवारे के बाद भी लल्लन उर्फ गब्बर पीछे वालों को रास्ता देने नहीं दे रहा है।इसके चलते करीब 3 बीघा जमीन को लेकर तैयब से विवाद चल रहा है। जिसको उसने खरीदा था। जिसका केस कोर्ट में चलने पर फरीद को भी पार्टी बनाया गया था। कोर्ट में तैयब केस जीत गया। जिसके बाद दोनों की लल्लन से दुश्मनी और बढ़ गई।उसका मानना था कि फरीद के चलते ही वह केस हार गया। क्योंकि तैयब तो लंदन में है। पैरवी फरीद ने ही की। हालांकि जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी तैयब के भाई मसूद के नाम है।एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लल्लन ने पहले तैयब को जमीन बेची और फिर आगे की जगह पीछे का हिस्सा दे दिया। जिसमें जाने का रास्ता भी नहीं दिया। परिजन उसकी दंबगई के चलते चुप रहे, लेकिन तैयब कोर्ट चला गया। जिसको लेकर ही परिवार में विवाद बढ़ गया।दूसरी तरफ पुलिस की जांच में भी आया है कि लेखपाल रघुवीर यादव पैमाइश करने शुक्रवार यानी 2 फरवरी को पहुंचा था तो वहां फरीद भी मौजूद था।अशरफी (लल्लन का ड्राइवर) के जरिए लल्लन खान को मौके पर बुलाया गया था। इसी दौरान दोनों पक्षों में विवाद हुआ था। तभी फरीद और मुनीर घर लौट गए थे। तब लल्लन, उसका बेटा व अन्य आरोपियों ने उनके घर पर धावा बोला था। गिरफ्तार अशरफी ने भी इसकी पुष्टि की है।एडीसीपी विश्वजीत श्रीवास्तव ने बताया कि लल्लन का जमीन के कुछ हिस्से को लेकर फरीद से विवाद होने पर लेखपाल रघुवीर पैमाइश नहीं की। इसके बाद फरीद घर लौट गया। पीछे से लल्लन अपने बेटे फराज व फुरकान और ड्राइवर अशर्फी के साथ फरीद के घर पहुंच गया था। जहां आपसी कहासुनी के बाद लल्लन और फराज ने हंजला, फरहीन और मुनीर की हत्या कर दी।लोगों का कहना है कि लल्लन उर्फ गब्बर बचपन से ही बदमाश था। वह किसी को कम नहीं समझता था। किसी की हिम्मत नहीं कि उसके खिलाफ बोले। नतीजा जमीनी विवाद के चलते कई सालों से उसकी अपने ही परिवार के किसी से बातचीत नहीं थी।शनिवार दोपहर 3.43 बजे तीनों शवों का पोस्टमॉर्टम के बाद फरीद के मोहम्मद नगर स्थित घर पहुंचे। फरीद की बड़ी बहन नजमी और बेटी जोया शवों को देख रोने लगी।बेटे हंजला का शव देख कर फरीद गिर पड़े। लोगों का कहना था कि गब्बर को जरा भी रहम नहीं आया, जिस भतीजी और नीती को गोद में खिलाया उसको ही मार डाला।लल्लन के ललकारने पर फरीद अपनी अपनी असलहा लेने घर के अंदर की तरफ भागे। वहीं लल्लन और फराज ने फरहीन से हाथापाई करने के बाद बीच में आए बेटे हंजला के सिर में गोली मार दी। उसके बाद मुनीर को घर के बाहर और फरहीन अंदर गेट पर गोली मार दी गई।पोस्टमॉर्टम में भी सामने आया कि 315 बोर की राइफल से ही तीनों की हत्या हुई है। जो पुलिस बरामद कर चुकी है। हंजला के सिर में, फरहीन के सीने में बाई ओर और मुनीर के सीने में गोली लगी थी।

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