इस साल अधिक मास के सावन महीने की अमावस्या तिथि दो दिन यानी 15 और 16 अगस्त को रहेगी। अमावस्या मंगलवार को दोपहर करीब 12.45 पर शुरू होगी। जो कि अगले दिन बुधवार को दोपहर 3 बजे तक रहेगी। इस तरह अधिक मास की अमावस्या दो दिनों तक मनेगी।
अधिक मास की अमावस्या को धर्म ग्रंथों में पर्व कहा गया है। इस तिथि पर पितरों की विशेष पूजा की जाती है। इस अमावस्या पर किए गए श्राद्ध से पितर संतुष्ट हो जाते हैं और सुख-समृद्धि बढ़ती है।
सावन महीने के चलते इस तिथि पर शिवजी की विशेष पूजा करने से अरोग्य मिलता है। सुख और समृद्धि भी बढ़ती है। ज्योतिष के नजरिये से इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आ जाते हैं। इन दोनों के ग्रहों के बीच का अंतर 0 डिग्री हो जाता है।
श्राद्ध के लिए भौमावस्या
15 अगस्त, मंगलवार को अमावस्या तिथि दोपहर करीब 12.45 पर शुरू हो जाएगी और पूरी रात रहेगी, इसलिए इस दिन व्रत और पीपल पूजा के साथ ही पितरों के लिए श्राद्ध किया जाएगा। साथ ही इस दिन अमावस्या तिथि में होने वाली हर तरह की पूजा की जा सकेगी। मंगलवार को होने से भौमावस्या का संयोग बन रहा है।
व्रत-पूजा और स्नान-दान गुरुवार को
16 अगस्त, बुधवार का सूर्योदय अमावस्या तिथि में होगा। इस दिन ये तिथि दोपहर करीब 3 बजे तक रहेगी। इसलिए इस दिन स्नान-दान करना चाहिए। बुधवार होने से इसका महत्व और बढ़ जाएगा। इस दिन तीर्थ या पवित्र नदी के जल से नहाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही इस दिन किए गए दान का कई गुना पुण्य मिलता है।
अक्षय पुण्य देने वाली अधिक मास की अमावस्या
अधिक मास की अमावस्या पर भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की विशेष पूजा सुख-समृद्धि देने वाली होती है। इस दिन जरुरतमंद लोगों को खाना और कपड़ों का दान करने से पुण्य बढ़ता है।
इस अमावस्या तिथि में शाम को शिवलिंग के पास तिल के तेल का दीपक जलाने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप और दोष दूर हो जाते हैं। अधिक मास की अमावस्या तिथि में ही मालपुआ और पान का दान करने से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है।