स्कंद, शिव और विष्णु पुराण में बताया गया है कि आषाढ़ मास में तीर्थ स्नान और सूर्य पूजा के साथ जरुरतमंद लोगों को अन्न और गर्म कपड़ों का दान करना चाहिए। ऐसा करने हर तरह के पाप खत्म होते हैं। महाभारत में बताया है कि इन दिनों में एक वक्त खाना खाने से उम्र बढ़ती है और बीमारियां दूर होती हैं। इसलिए ये हफ्ता खास रहेगा।
14 जून, बुधवार: इस दिन आषाढ़ मास का पहला एकादशी व्रत किया जाएगा। इस व्रत में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने का विधान है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से मनोकामना पूरी होती है और दुर्भाग्य दूर होता है। इसलिए इसे योगिनी एकादशी कहा जाता है। आषाढ़ महीना होने से इस दिन की गई विष्णु पूजा का फल और बढ़ जाता है। इस व्रत में भगवान कृष्ण की पूजा भी करते हैं।
15 जून, गुरुवार: इस दिन सूर्य वृष राशि से निकलकर मिथुन में प्रवेश करेगा। सूर्य का राशि परिवर्तन होने से इस दिन आषाढ़ मास का संक्रांति पर्व है। पुराणों के मुताबिक मिथुन संक्रांति पर गंगाजल से नहाने के बाद उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने और जरुरतमंद लोगों को दान देने की परंपरा है। ऐसा करने से मिलने वाला पुण्य लंबे समय तक रहता है। इस दिन श्राद्ध करने से पितरों का तृप्ति भी मिलती है।
इस दिन महीने के कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि रहेगी। त्रयोदशी होने से प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने का विधान है। शिव पुराण का कहना है कि आषाढ़ मास में भगवान शिव-पार्वती की पूजा और व्रत करने से हर तरह की परेशानियों दूर होती हैं। गुरुवार को त्रयोदशी तिथि होने से गुरु प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। इस व्रत से आर्थिक सुख और समृद्धि बढ़ती है।
17 जून, शनिवार: इस दिन आषाढ़ महीने की व्रत और पूजा वाली अमावस्या है। इसके अगले दिन से स्नान-दान किया जाएगा। आषाढ़ अमावस्या पर पितृ पूजा करने का विधान है। इस दिन पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। आषाढ़ महीने की अमावस्या पर ब्राह्मण भोजन करवाने और जरुरतमंद लोगों को दान देने से महा पुण्य मिलता है।