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इस हफ्ते व्रत-पर्व के तीन दिन; बुधवार को योगिनी एकादशी, गुरुवार को मिथुन संक्रांति और शनिवार को रहेगी आषाढ़ अमावस्या


 ये हफ्ता व्रत-उपवास और स्नान-दान वाला रहेगा। इस सप्ताह में तीन बड़े व्रत-पर्व आएंगे। इनमें बुधवार को योगिनी एकादशी रहेगी। इसके अगले दिन मिथुन संक्रांति और गुरु प्रदोष दोनों रहेंगे। वहीं, शनिवार को व्रत और पूजा की आषाढ़ अमावस्या रहेगी। रविवार को सूर्योदय काल में अमावस्या के दौरान स्नान-दान किया जाएगा। इनमें एकादशी पर भगवान विष्णु, संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। प्रदोष काल में भगवान शिव-पार्वती की पूजा और अमावस्या पर पितरों की पूजा होगी।

आषाढ़ मास होने से पूरा हफ्ता खास
5 जून से आषाढ़ मास शुरू हो गया है। जो कि 3 जुलाई तक रहेगा। ग्रंथों में आषाढ़ मास के दौरान सूर्य पूजा करने का विधान बताया गया है, क्योंकि इस महीने के स्वामी सूर्य ही हैं। साथ ही इस महीने के देवता भगवान विष्णु है। जिनकी पूजा वामन रूप में करने का जिक्र भी पुराणों में मिलता है।

स्कंद, शिव और विष्णु पुराण में बताया गया है कि आषाढ़ मास में तीर्थ स्नान और सूर्य पूजा के साथ जरुरतमंद लोगों को अन्न और गर्म कपड़ों का दान करना चाहिए। ऐसा करने हर तरह के पाप खत्म होते हैं। महाभारत में बताया है कि इन दिनों में एक वक्त खाना खाने से उम्र बढ़ती है और बीमारियां दूर होती हैं। इसलिए ये हफ्ता खास रहेगा।

14 जून, बुधवार: इस दिन आषाढ़ मास का पहला एकादशी व्रत किया जाएगा। इस व्रत में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने का विधान है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से मनोकामना पूरी होती है और दुर्भाग्य दूर होता है। इसलिए इसे योगिनी एकादशी कहा जाता है। आषाढ़ महीना होने से इस दिन की गई विष्णु पूजा का फल और बढ़ जाता है। इस व्रत में भगवान कृष्ण की पूजा भी करते हैं।

15 जून, गुरुवार: इस दिन सूर्य वृष राशि से निकलकर मिथुन में प्रवेश करेगा। सूर्य का राशि परिवर्तन होने से इस दिन आषाढ़ मास का संक्रांति पर्व है। पुराणों के मुताबिक मिथुन संक्रांति पर गंगाजल से नहाने के बाद उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने और जरुरतमंद लोगों को दान देने की परंपरा है। ऐसा करने से मिलने वाला पुण्य लंबे समय तक रहता है। इस दिन श्राद्ध करने से पितरों का तृप्ति भी मिलती है।

इस दिन महीने के कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि रहेगी। त्रयोदशी होने से प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने का विधान है। शिव पुराण का कहना है कि आषाढ़ मास में भगवान शिव-पार्वती की पूजा और व्रत करने से हर तरह की परेशानियों दूर होती हैं। गुरुवार को त्रयोदशी तिथि होने से गुरु प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। इस व्रत से आर्थिक सुख और समृद्धि बढ़ती है।

17 जून, शनिवार: इस दिन आषाढ़ महीने की व्रत और पूजा वाली अमावस्या है। इसके अगले दिन से स्नान-दान किया जाएगा। आषाढ़ अमावस्या पर पितृ पूजा करने का विधान है। इस दिन पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। आषाढ़ महीने की अमावस्या पर ब्राह्मण भोजन करवाने और जरुरतमंद लोगों को दान देने से महा पुण्य मिलता है।

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