22 अप्रैल को हर तरह की खरीदारी और नई शुरुआत के लिए अबूझ मुहूर्त रहेगा। इस दिन वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तीज यानी अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाएगा। स्नान, दान का ये पर्व शनिवार को रोहिणी नक्षत्र के साथ मनेगा।
इस बार अक्षय तृतीया पर ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति रहेगी। जिससे धर्म-कर्म, खरीदारी, निवेश और लेन-देन करने के लिए पूरा दिन शुभ रहेगा।
स्वयं सिद्ध मुहूर्त
ज्योतिष में अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्ध मुहूर्त कहा गया है। इस दिन शुभ-अशुभ समय का विचार किए बिना कोई भी काम कर सकते हैं। इस तिथि पर सूर्य-चंद्रमा अपनी उच्च राशि में होते हैं। साल में सिर्फ इसी दिन ये संयोग बनता है। इसलिए इसे अबूझ मुहूर्त और महापर्व कहते हैं।
खरीदारी का महापर्व अक्षय तृतीया
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि मंगलवार को तृतीया तिथि होने से सिद्धि योग बन रहा है। इस योग में किए गए हर काम में सफलता मिलना लगभग तय होता है। तृतीया को जया तिथि कहा जाता है। यानी जीत देने वाली। यही वजह है कि इस तिथि में किए गए काम लंबे समय तक फायदा देने वाले होते हैं। यानी उनका अक्षय फल मिलता है। तृतीया मां गौरी की तिथि है।
जो बल-बुद्धि वर्धक मानी गई हैं। ये आरोग्य देने वाली होती है। इस तिथि में किए गए कामों से सौभाग्य वृद्धि होती है। इसमें इच्छित आभूषण की खरीदी और शुभ काम करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। इसलिए इस दिन को अक्षय तृतीया कहा जाता है और इसी वजह से इस दिन की गई खरीदारी सुख और समृद्धि देने वाली होती है।
अक्षय तृतीया पर खरीदा सामान स्थायी समृद्धि का प्रतीक
अक्षय तृतीया पर खरीदी ज्वेलरी और सामान शाश्वत समृद्धि के प्रतीक है। इस दिन खरीदा और पहना गया सोना अखण्ड सौभाग्य का प्रतीक होता है। इस दिन शुरू किए किसी भी नए काम या किसी भी काम में लगाई पूंजी में लंबे समय तक फायदा होता है। माना जाता है कि इस दिन खरीदा सोना कभी खत्म नहीं होता, क्योंकि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी खुद उसकी रक्षा करते हैं।