अल्हागंज। डीएपी खाद की किल्लत व कालाबाजारी से किसान तंग आ चुके हैं। पहले तो डीएपी खाद मिलता नहीं है अगर किसी दुकान पर मिलता है तो 1350 रुपये की जगह किसानों को 1700 या फिर 1750 में खरीदना पड़ रहा है। खाद की कालाबाजारी व कमी के कारण सरसों की फसलों को बोने में किसान को परेशानी हो रही है। किसानों की समस्या को देखते हुए राष्ट्रीय सोशल मीडिया संघ के अध्यक्ष अमित वाजपेयी ने जिला कृषि अधिकारी से शिकायत कर किसानों को उचित मूल्य पर खाद दिलाए जाने की मांग की है। किसानों की समस्या का समाधान न होने पर धरना प्रदर्शन की भी चेतावनी दी गयी है।
बता दें कि इस वक्त सरसों की बोआई का समय शुरू हो चुका है। किसानों को सरसों की बुआई तथा गेहूं के लिए डीएपी खाद की जरूरत पड़ती है। किसानों का कहना है कि पहले तो यह कहकर दुकानदार टरकाने की कोशिश करते हैं कि खाद नहीं आ रहा है और ज्यादा कहने पर वही दुकानदार ज्यादा दामों में खाद उपलब्ध कराने पर राजी हो जाता है। क्योंकि सभी के गोदामों मे पहले से ही स्टाक जमा है बताया गया है कि डीएपी खाद की सरकारी मूल्य एक बोरे की 1350 रुपये है। किसानों का आरोप है कि दुकानदार 1350 की बजाए 1700 व 1750 रुपये में डीएपी खाद बेचकर किसानों को चूना लगा रहे हैं। मजबूरी वश किसानों को कालाबाजारी के तहत मंहगा खाद खरीदना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक खाद की सप्लाई नहीं आ रही है इसलिए खाद की कमी है। इसी कमी का फायदा खाद विक्रेता उठा रहे हैं। क्योंकि यहां पहले से ही गोदामों पर दुकानदार भारी स्टाक कर लेते है। और एक एक बोरी पर 400 से अधिक मुनाफा कमाते है। कालाबाजारी पर प्रशासन की तरफ से कोई अंकुश नहीं लग रहा है। श्री वाजपेयी ने प्रशासन से मांग कर कालाबाजारी व खाद की किल्लत को दूर करने की गुहार लगाई है। सरसों व गेहूं की बुबाई का समय चल रहा है, लेकिन डीएपी खाद नहीं मिल रहा, मिलता है तो ब्लैक में मंहगा मिलता है। ऐसे में सरसों व गेहूं की फसल की बुबाई कैसे होगी।