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व्रत-उपवास और श्राद्ध का योग:21 सितंबर को बुधवार, पितृ पक्ष और एकादशी


  •  बुधवार, 21 सितंबर को इंदिरा एकादशी है। अभी पितृ पक्ष चल रहा है और इस पक्ष की एकादशी का महत्व काफी अधिक है। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु एकादशी पर हुई है। बुधवार को एकादशी होने से इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही गणेश जी की भी विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा कहते हैं, 'पितृ पक्ष की एकादशी पर किए गए पिंडदान, तर्पण, धूप-ध्यान और श्राद्ध कर्म से पितर देवता संतुष्ट होते हैं। ऐसा शास्त्रों में लिखा है। अगर कोई व्यक्ति इस तिथि पर श्राद्ध नहीं कर पा रहा है तो उसे जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना चाहिए। वस्त्र, अनाज और धन का दान करना चाहिए। श्राद्ध कर्म दोपहर में करना चाहिए। जलते हुए कंडे पर गुड़-घी, खीर-पुड़ी अर्पित करके धूप दे सकते हैं। इसके बाद हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को जल चढ़ाएं।'

ऐसे करें गणेश जी की पूजा

प्रथम पूज गणेश जी की पूजा में सबसे पहले भगवान को स्नान कराएं। वस्त्र, हार-फूल अर्पित करें। जनेऊ, कुमकुम, चंदन, चावल, दूर्वा आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। गणेश पूजा के बाद विष्णु जी की पूजा करें।

एकादशी पर ऐसे कर सकते हैं भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास

  • स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम का अध्याय है। इसमें साल भर की सभी एकादशियों के बारे में बताया गया है। द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने पांडव पुत्र युधिष्ठिर को एकादशियों का महत्व बताया था।
  • एकादशी पर सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान के बाद घर के मंदिर में पूजा-पाठ करें। भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करें। पंचामृत दूध, घी, मिश्री, दही और शहद मिलाकर तैयार किया जाता है। विष्णु जी के साथ ही महालक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए।
  • पंचामृत अर्पित करने के बाद शुद्ध जल से अभिषेक करें। भगवान को नए पीले वस्त्र पहनाएं। देवी लक्ष्मी को लाल चुनरी अर्पित कर सकते हैं। सुहाग सामान जैसे चूड़ियां, कुमकुम भेंट करें। देवी-देवता का हार-फूल से श्रृंगार करें।
  • भगवान को मिठाई का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते रहना चाहिए।
  • पूजा में भगवान के सामने एकादशी व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद दिनभर निराहार रहें। आप चाहें तो फलों का सेवन कर सकते हैं।
  • अगले दिन यानी द्वादशी (22 सितंबर) तिथि पर सुबह विष्णु जी की पूजा करें। पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और इसके बाद खुद भोजन ग्रहण करें।
  • इस तरह एकादशी का व्रत पूरा हो जाता है।

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