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गणेश उत्सव 31 अगस्त से अभी से करें मिट्टी के गणेश बनाने की तैयारी


  •  31 अगस्त से दस दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत हो रही है। घर-घर में गणपति जी प्रतिमा स्थापित की जाएगी। घर में स्थापित करने के लिए, पूजा के लिए और पर्यावरण की बेहतरी के लिए मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाएं सबसे अच्छी रहती हैं। ये प्रतिमाएं पानी में आसानी से घुल जाती हैं, जबकि प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी प्रतिमाएं पानी में घुल नहीं पाती हैं। इसलिए घर में मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा ही विराजित करें। अभी गणेश चतुर्थी में काफी दिन हैं, मिट्टी की गणेश प्रतिमा बनाने के काफी समय है। इतने दिनों में प्रतिमा बनाने से उसे सूखने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा, इसके बाद रंगों से प्रतिमा की सुंदरता बढ़ाई जा सकती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक शास्त्रों में मिट्टी से बनी प्रतिमा की पूजा को श्रेष्ठ बताया गया है। मिट्टी से बनी प्रतिमा में पंच तत्व समाए हुए रहते हैं। मिट्टी यानी पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश, पांचों तत्वों से ही हमारा शरीर बनता है और इन पंच तत्वों से मिलकर ही मिट्टी की गणेश प्रतिमा बनती है।

गणेश प्रतिमा बनाने के लिए कैसी मिट्टी का करें उपयोग

प्रतिमा बनाने के लिए किसी नदी या तालाब या किसी अन्य साफ-सुथरी जगह की मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। ध्यान रखें मिट्टी में कंकड़-पत्थर, पेड़-पौधे की जड़ें या घास नहीं होनी चाहिए।

कैसे बना सकते हैं मिट्टी की गणेश प्रतिमा

गिली मिट्टी से 5 समान आकार के गोले बनाएं। पहले गोले से गणेश के लिए आसन बनाना है। आसन का आकार अपनी इच्छा अनुसार गोल या चौकोर बना सकते हैं।

दूसरे गोले से गणेशजी का पेट बनाएं और उसे आसन पर विराजित करें। तीसरे गोले को दो समान भागों में बांटें। इन दो भागों में से एक भाग से गणेश जी के दो पैर और दूसरे भाग से दो हाथ बनाएं।

मिट्टी के चौथे गोले से गणेश जी का सिर और सूंड बनाना है। गणेश जी के पेट के ऊपर सिर और सूंड लगाएं।

मिट्टी के पांचवें गोले से गणेश जी के कान, लड्डू, दांत, आंखें और मुकुट बनाना है। इन सभी हिस्सों को जोड़कर प्रतिमा तैयार करें।

प्रतिमा बन जाने के बाद घर में ऐसी जगह जहां धूप आती हो, वहां रख दें। कुछ दिनों में प्रतिमा सूख जाएगी। इसके बाद प्रतिमा पर मनचाहे रंग किए जा सकते हैं।

ऐसे कर सकते हैं गणेश जी की सरल पूजा

मिट्टी की गणेश प्रतिमा पर थोड़ा जल अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। जनेऊ चढ़ाएं। दूर्वा अर्पित करें। लड्डू का भोग लगाएं। गणेश जी के साथ ही शिव जी और पार्वती की भी पूजा करें। शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। गणेश जी, शिव जी और पार्वती जी को वस्त्र अर्पित करें। गणेश जी के सामने धूप-दीप जलाएं। आरती करें। श्री गणेश के मंत्र का जप करें। ध्यान रखें गणेश जी को और शिवजी को तुलसी न चढ़ाएं। पूजा में श्री गणेशाय नम:, ऊँ नम: शिवाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए।

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