- 17 अगस्त को किसानों का महापर्व बलराम जयंती है। इसे हलषष्ठी भी कहते हैं। इस दिन श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ यानी बलराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। बलराम हर पल अपने साथ हल रखते थे। हल ही उनका मुख्य हथियार था। हल किसानों के लिए भी काफी महत्व रखता है। हल से ही खेती होती है। हल की वजह से किसानों की जीविका चलती है। इस वजह से किसान बलराम जी की जयंती काफी धूमधाम से मनाते हैं। कई क्षेत्रों में इस तिथि पर बड़े आयोजन भी होते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक हलषष्ठी पर बलराम जी के साथ ही छठ माता की पूजा भी की जाती है। महिलाएं इस दिन छठ माता के लिए व्रत-उपवास करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर व्रत-उपवास करने और छठ माता की पूजा करने से संतान के सुख मिलता है, संतान की बाधाएं खत्म होती हैं। ये व्रत घर-परिवार के सभी लोगों के अच्छे स्वास्थ्य और अच्छे जीवन की कामना से किया जाता है।
जन्माष्टमी से पहले मनाते हैं बलदाऊ की जयंती
हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं। इससे दो दिन पहले हलषष्ठी मनाई जाती है। द्वापर युग में इस तिथि पर शेषनाग जी ने वसुदेव और रोहिणी के यहां बलराम के रूप में अवतार लिया था। रोहिणी श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव की पहली पत्नी थीं। सुभद्रा भी रोहिणी जी की पुत्री थीं। बलदाऊ हल और मूसल को शस्त्र के रूप में धारण करते थे, इस कारण उन्हें हलधर भी कहते हैं। इस पर्व पर बलराम और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा जरूर करें।
हलछठ पर कर सकते हैं ये शुभ काम
महिलाओं को स्नान के बाद घर की दीवार पर छठ माता की तस्वीर लगानी चाहिए और पूजन करना चाहिए। गणेश जी और देवी पार्वती की भी पूजा इस दिन करें। पूजा में हलषष्ठी की कथा पढ़ी-सुनी जाती है। मान्यता है कि इस दिन ऐसी सब्जियों का और ऐसे अन्नों का सेवन करना चाहिए, जिन्हें बिना हल की मदद से उगाया जाता है।
18 और 19 अगस्त को जन्माष्टमी
हलछठ के बाद गुरुवार-शुक्रवार यानी 18-19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। पंचांग भेद होने की वजह से दो दिन ये पर्व मनाया जाएगा। इस दिन बाल गोपाल का विशेष अभिषेक करें। जो लोग जन्माष्टमी पर व्रत रखते हैं, उन्हें दिनभर निराहार रहना चाहिए। रात में बाल गोपाल की पूजा करनी चाहिए। भगवान को नए वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं और धूप-दीप जलाकर आरती करें।