- अगले सप्ताह गुरुवार, 11 अगस्त को सावन माह की अंतिम तिथि पूर्णिमा और रक्षा बंधन है। इस साल रक्षा बंधन पर पूरे दिन भद्रा का साया रहने वाला है। भद्रा के समय में रक्षा सूत्र नहीं बांधने की सलाह ज्योतिषियों द्वारा दी जाती है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक रक्षा बंधन पर भद्रा हो तो रक्षा सूत्र बांधने के लिए उस समय को छोड़ देना चाहिए। इस बार सावन पूर्णिमा 11 अगस्त की सुबह 11.08 बजे शुरू होगी। पूर्णिमा अगले दिन यानी 12 अगस्त की सुबह 7.16 बजे तक रहेगी। इसके बाद भाद्रपद मास की प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। पंचांग भेद की वजह से कई क्षेत्रों में 12 अगस्त को भी रक्षा बंधन पर्व मनाया जाएगा।सूर्योदय से पूर्णिमा तिथि तीन मुहूर्त से भी कम समय तक रहेगी। इसलिए रक्षा बंधन का पर्व 11 अगस्त को मनाना ज्यादा शुभ रहेगा। 11 अगस्त को दिनभर भद्रा रहने वाली है। भद्रा रात 8.30 बजे खत्म होगी। इसके बाद ही रक्षा सूत्र बांधना चाहिए। इस दिन रात में 8.30 बजे से 9.55 बजे तक चर का चौघड़िया रहेगा। इस समय में रक्षा सूत्र बांधना ज्यादा शुभ रहेगा।
रक्षा बंधन पर ऐसे बनाएं वैदिक रक्षा सूत्र
सावन माह की पूर्णिमा पर सुबह स्नान के बाद देवी-देवताओं की पूजा करें। पितरों का तर्पण करें। इस दिन रात में 8.30 बजे के बाद सूती या रेशमी पीले कपड़े सरसों, केसर, चंदन, चावल, दूर्वा और सिक्का रखकर बांध लें। घर के मंदिर एक कलश की स्थापित करें और उस पर वैदिक रक्षा सूत्र रखें। विधिवत पूजा करें। पूजा के बाद अपनी बहन से या किसी ब्राह्मण से वैदिक रक्षा सूत्र अपने दाहिने हाथ में बंधवा लेना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ये रक्षा सूत्र सालभर तक हमारी रक्षा करता है।
रक्षा बंधन पर ऐसी रहेगी ग्रहों की स्थिति
रक्षा बंधन पर गुरु मीन राशि में वक्री रहेगा। चंद्र शनि के साथ मकर राशि में रहेगा। इन ग्रहों की युति से विष योग बनता है। गुरु की दृष्टि सूर्य पर रहेगी, सूर्य की शनि पर एवं शनि की गुरु पर दृष्टि रहेगी। ग्रहों के इन योगों में हमें अतिरिक्त सावधानी रखनी चाहिए। छोटी सी लापरवाही भी नुकसान करा सकती है। सावन पूर्णिमा पर कर सकते हैं ये शुभ काम पूर्णिमा पर जरूरतमंद लोगों को नए कपड़ों का, जूते-चप्पल, छाते का दान करना चाहिए। मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें। किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए दान करें। सुबह सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। हनुमान जी के सामने धूप-दीप जलाएं, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड या हनुमान जी मंत्रों का जप करें। शिव जी का जल और दूध से अभिषेक करें।