--बलात्श्रम, न्यूनतम वेतन से कम मजदूरी व बन्धुआ मजदूरों को लेकर प्रशासन सजग
--भीख मांगने वाले बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ा जाये : डीएम
- शाहजहाँपुर। जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट के वी.सी. कक्ष में जिला स्तरीय बन्धुआ श्रमिक सतर्कता समिति एवं बाल श्रम उन्मूलन समिति की बैठक सम्पन्न हुई। जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि बाल श्रम, न्यूनतम वेतन से कम मजदूरी व बन्धुआ मजदूरों को चिन्हित करने हेतु गठित बन्धुआ श्रमिक सतर्कता समिति के सदस्य/सामाजिक संस्थाएं अपनी सजग दृष्टि बनाये रखते हुए सेवायोजक के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने हेतु जिला प्रशासन/श्रम विभाग के अधिकारियों को अवगत करायें। श्रम प्रवर्तन अधिकारी घनश्याम वर्मा ने बताया गया कि विगत वर्ष में जनपद में बन्धुआ श्रम से सम्बन्धित कोई भी प्रकरण संज्ञान में नही आया है। उक्त प्रकरणों में बन्धुआ श्रमिक चिन्हित होने के उपरान्त श्रमिक को 20 हजार की तात्कालिक सहायता प्रदान की जाती है तथा उसके आर्थिक पुनर्वासन हेतु पुरुष श्रमिक को 01 लाख तथा महिला श्रमिक को 02 लाख की धनराशि दिये जाने का प्राविधान है।
जिलाधिकारी द्वारा बैठक में उपस्थित समिति के समस्त पदाधिकारियों/सामाजिक कार्यकर्ताओं से अपील की गई कि वे जनपद में बन्धुआ श्रम से सम्बन्धित प्रकरणों पर सतर्कता के साथ सजग दृष्टि रखते हुए सर्विलांस करते रहे। बाल श्रम उन्मूलन समिति के सम्बन्ध में श्रम प्रवर्तन अधिकारी द्वारा बताया गया कि आयु के आधार पर 14 वर्ष तक की आयु के बच्चे खतरनाक प्रक्रिया व 14 से 18 वर्ष तक बच्चे गैर खतरनाक प्रक्रिया के अन्तर्गत चिन्हित करते हुए उनका शैक्षिक पुनर्वासन कराया जाता है। जनपद में बाल श्रम उन्मूलन जनपद समिति के तहत राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के अन्तर्गत वर्ष 2014-15 तक विशेष प्रशिक्षण केन्द्र स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित किये गये थे। जिसके लम्बित भुगतान हेतु स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा जिलाधिकारी को अवगत कराया गया। जिलाधिकारी ने निर्देशित करते हुये कहा कि श्रम मंत्रालय भारत सरकार को पत्र प्रेषित कर स्वीकृत/सरेण्डर हेतु मदवार स्थिति ज्ञात कर ली जाए। घनश्याम वर्मा, श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने बताया गया कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पं. राम प्रसाद विस्मिल राजकीय जिला चिकित्सालय द्वारा चिन्हित बाल श्रमिकों के आयु परीक्षण तत्काल उसी दिन नही किया जाता है। जिससे आयु परीक्षण में दो-तीन दिन लग जाते है। जिससे बच्चों को उनके अभिभावकों को सुपुर्द किये जाने में काफी समय लग जाता है। जिस पर जिलाधिकारी ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का जवाब तलब करने के निर्देश दिये। विनोवा भावे सेवा आश्रम के सचिव द्वारा बताया गया कि चाईल्ड हेल्प लाईन के तहत भीख मांगने वाले बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य किया गया है, लेकिन वे दोबारा पुनः भीख मांगना प्रारम्भ कर देते है। ऐसे प्रकरणों को लेकर जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि यदि मुख्य धारा से जुड़ने के बाद बच्चे पुनः भीख मांगते दिखते है तो उन्हे बाल सुधार गृह में दाखिल कराने की कार्यवाही की जाए।
बैठक में जिला विकास अधिकारी, पीडी, डीआरडीए, सुरेन्द्र सिंह, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी डा. गोविन्द, उप मुख्य चिकित्साधिकारी, दीपक चन्द्र, प्रबन्धक अग्रणी बैंक, जगदीश चन्द्र, जिला समाज कल्याण अधिकारी राजेश कुमार, श्रीमती सीमा सिंह, दोदराम वर्मा, मोनी अग्निहोत्री, अवधेश मिश्रा, ग्रामोदय सेवा आश्रम, पवन सिंह, इण्टक व भूरे लाल श्रम प्रवर्तन अधिकारी आदि अधिकारीगण व अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहें।