भीष्म ने युधिष्ठिर को बताया इसका महत्व, इस दिन स्नान-दान से मिलता है कई यज्ञों का पुण्य--
30 मई को साल की आखिरी सोमवती अमावस्या है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। ऐसा संयोग साल में 2 या कभी-कभी 3 बार भी बन जाता है। इस अमावस्या को हिन्दू धर्म में पर्व कहा गया है। इस दिन पूजा-पाठ, व्रत, स्नान और दान करने से कई यज्ञों का फल मिलता है। सोमवती अमावस्या पर तीर्थ स्नान करने से कभी खत्म नहीं होने वाला पुण्य मिलता है। लेकिन कोई तीर्थ स्नान न कर सके तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर नहाने से भी इसका पुण्य फल मिलता है। महाभारत के दौरान भीष्म ने युधिष्ठिर को बताया है महत्व महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितर भी संतुष्ट हो जाते हैं। इस साल सिर्फ दो ही सोमवती अमावस्या इस साल सिर्फ दो ही सोमवती अमास्या रहेगी। इनमें पहला संयोग 31 जनवरी को बना था। इसके बाद अब 30 मई, सोमवार को अमावस्या रहेगी। जो कि इस साल का आखिरी सोमवती अमावस्या पर्व रहेगा। इसके बाद अगले साल 20 फरवरी को ये शुभ योग बनेगा। पीपल के पेड़ की पूजा पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि पीपल के पेड़ में पितर और सभी देवों का वास होता है। इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन जो दूध में पानी और काले तिल मिलाकर सुबह पीपल को चढ़ाते हैं। उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है। इसके बाद पीपल की पूजा और परिक्रमा करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने से हर तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं। ग्रंथों में बताया गया है कि पीपल की परिक्रमा करने से महिलाओं का सौभाग्य भी बढ़ता है। इसलिए शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी कहा गया है।