ज्येष्ठ मास में आते हैं गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे व्रत पर्व--
- मंगलवार, 17 मई से हिन्दी पंचांग का तीसरा महीना ज्येष्ठ शुरू हो रहा है। इस महीने में सूर्य वृष राशि में रहता है। वृष राशि के सूर्य की वजह से ज्येष्ठ मास में गर्मी अपने चरम पर होती है। छोटे-छोटे नदी-तालाब सूख जाते हैं। पशु-पक्षियों के खाने-पीने के लिए अन्न-जल नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में पशु-पक्षियों के लिए अन्न-जल की व्यवस्था करनी चाहिए। मान्यता है कि ज्येष्ठ मास में किए गए अन्न और जल के दान से अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य यानी इस पुण्य का शुभ असर कभी खत्म नहीं होता है। इसी महीने में नौतपा भी रहता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार ज्येष्ठ में पानी बचाने का और पानी दान करने का विशेष महत्व है। ये ग्रीष्म ऋतु का अंतिम महीना रहता है, इसके बाद आषाढ़ मास से वर्षा ऋतु शुरू होती है। बारिश से पहले नदी-तालाब सूखने की वजह से पानी की कमी होने लगती है। इस कारण ज्येष्ठ मास में पानी बचाने और जल दान करने की परंपरा है।
ज्येष्ठ मास में आते हैं गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे व्रत पर्व
हिन्दी पंचांग के तीसरे महीने ज्येष्ठ में पानी का महत्व बताने वाले व्रत-पर्व आते हैं, जैसे गंगा दशहरा (9 जून) और निर्जला एकादशी (10 जून)।
गंगा दशहरा पर गंगा नदी में स्नान करने परंपरा है। अगले दिन निर्जला एकादशी रहती है। इस व्रत में निर्जल रहकर उपवास किया जाता है। ये व्रत पानी का महत्व बताता है।
हिन्दी पंचांग के तीसरे महीने का नाम ज्येष्ठ क्यों?
हिन्दी पंचांग में महीनों के नाम पूर्णिमा तिथि पर आने वाले नक्षत्र के नाम पर रखे गए हैं। पूर्णिमा महीने की अंतिम तिथि होती है।
हिन्दी पंचांग के तीसरे महीने की पूर्णिमा पर ज्येष्ठा नक्षत्र रहता है। इसी नक्षत्र की वजह से इसे ज्येष्ठ माह कहते हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर कबीरदास जी की जयंती मनाई जाती है।
इसी महीने में रहता है नौतपा
ज्येष्ठ महीने में ही नौतपा रहता है। इस बार 25 मई से नौतपा शुरू हो रहा है।
जब सूर्य ग्रह रोहिणी नक्षत्र में आता है, तब नौतपा शुरू हो जाता है। नौतपा 2 जून तक रहेगा।
ज्येष्ठ मास में कर सकते हैं ये शुभ काम
इस महीने में बाल गोपाल का शीतल जल से भगवान अभिषेक करना चाहिए। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं। साथ ही, भगवान को चंदन लेप भी करना चाहिए।
शिवलिंग पर शीतल जल चढ़ाएं। चांदी के लोटे से शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, आंकड़ा, धतूरा, शहद आदि चीजें भगवान को अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
जरूरतमंद लोगों को वस्त्रों का, छाते का और अन्न और धन का दान करना चाहिए। किसी गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। किसी प्याऊ में मटके का दान करें। आप चाहें तो किसी सार्वजनिक स्थान पर प्याऊ भी लगवा सकते हैं।