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अब युवाओं को भी दिल के रोग हो रहे हैं और हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ गया

 

  • एक शोध के मुताबिक़, भारत में 40 फ़ीसदी हृदय रोगियों की उम्र 40 साल से कम है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद का एक अध्ययन कहता है कि अमूमन 50 वर्ष की उम्र के बाद दिल से जुड़ी बीमारियों के होने की आशंका बढ़ जाती है लेकिन बीते एक दशक में यह उम्र 50 से घटकर 40 वर्ष हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के अनुसार भारत में हर 33 सेकंड में हार्ट अटैक से एक मृत्यु होती है और इनमें बड़ी संख्या युवाओं की होती है। कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक की घटनाओं के लिए विभिन्न कारकों को जि़म्मेदार ठहराया गया है। इनमें प्रमुख कारक ये हैं-
अनियमित दिनचर्या
दिनचर्या का अनियमित होना, न ही समय पर सोना और न ही समय पर उठना। हम इस बात को भले ही नज़रअंदाज़ कर दें और रातभर जागकर हम सुबह देर से उठें, लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा करने का कितना नकारात्मक प्रभाव आपके शरीर पर पड़ता है और कितनी गंभीर बीमारियों का शिकार आप बन सकते हैं?
बढ़ता हुआ मोटापा
बढ़ते मोटापे (वेस्ट-हिप रेश्यो), प्रोसेस्ड फूड और कॉर्बोनेटेड पेय पदार्थों के अधिक सेवन और शारीरिक गतिविधि में कमी के कारण डायबिटीज़, हाई बीपी और उच्च कोलेस्ट्रॉल की स्थिति बनती है। ये सब हार्ट अटैक का ख़तरा कई गुना बढ़ा देते हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के मुताबिक़ पेट पर चर्बी बढ़ने से ब्लड प्रेशर बढ़ने और ब्लड शुगर के अनियमित होने की आशंका बढ़ जाती है।
नशे की लत
धूम्रपान की आदत और अन्य मादक पदार्थों का सेवन युवाओं में हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार है। धूम्रपान धमनियों में समस्या पैदा करता है। मादक पदार्थों के सेवन से हृदय की धमनियों में अचानक संकुचन और कसाव उत्पन्न होता है जिससे हृदय में ख़ून का प्रवाह बाधित होता है और इसके परिणामस्वरूप हार्ट अटैक हो सकता है।
लगातार तनाव
यह प्रतिस्पर्धा का दौर है। आगे निकलने की रेस में हम अपने मस्तिष्क में तनाव पाले रहते हैं और यह भूल जाते हैं कि इस तनाव का हमारे शरीर पर कितना नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। अगर हम इसी तरह तनाव लेते रहे तो क्या हमारा शरीर आगे भी काम कर पाएगा? काम से जुड़ा तनाव और मोबाइल या लैपटॉप का अधिक से अधिक इस्तेमाल भी दिल से जुड़ी समस्याओं में अहम योगदान देता है।

ये लक्षण हो सकते हैं
नींद न आना, थोड़ा-सा चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर सांस लेने में दिक़्क़त, बहुत ज़्यादा थकान, दिल की अनियमित धड़कन, खाने के बाद छाती पर दबाव महसूस करना और पैरों में सूजन दिल की समस्याओं के लक्षण हो सकते हैं।
बचाव के उपाय
कई मामलों में लोग सीने के दर्द को गैस या एसिडिटी समझ बैठते हैं। हार्ट अटैक के लगभग 50% मामले इमरजेंसी में ही लाए जाते हैं जिससे मृत्यु का जोखिम काफ़ी बढ़ जाता है। यदि लक्षणों को पहचानकर उन्हें चिकित्सकीय मदद मिल जाए तो जटिलताओं को टाला जा सकता है।

हृदय रोगों से बचने के लिए ये उपाय...

सही जीवनशैली
युवाओं को नियमित जीवनशैली अपनानी चाहिए जो हृदय को स्वस्थ रखे। धूम्रपान और नशीले पदार्थों का सेवन छोड़ देना चाहिए।
आहार हो सही
सुबह का पहला भोजन यानी नाश्ता सबसे महत्वपूर्ण है। सही आहार वज़न नियंत्रित करने के साथ हृदय को भी सेहतमंद रखता है। साबुत अनाज ओटमील, अनाज या गेहूं के टोस्ट, पीनट बटर, बिना मलाई का दूध, दही, योगर्ट आदि लेने चाहिए। खाने में ज़्यादा से ज़्यादा ताज़े फलों और सब्जि़यों का सेवन किया जाना चाहिए।
शारीरिक सक्रियता
एलिवेटर या लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करना बेहतर है। अपने सहकर्मी को फोन करने के बजाय उनके डेस्क पर जाकर बात करना चाहिए। पार्क में घूमने जाएं। दूर की पार्किंग में गाड़ी खड़ी करें ताकि पैदल चलने के मौक़े मिल सकें। हर वह क़दम उठाइए जो सेहत के लिए अच्छे हैं।
6 से 8 घंटे की नींद
पर्याप्त एवं अच्छी नींद दिल के अच्छे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी होती है। कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद से शरीर में स्ट्रेस हॉर्मोन की मात्रा नियंत्रित रहती है जिससे हार्ट अटैक का ख़तरा कम होता है।
समय पर जांच

20 से 39 वर्ष के बीच के लोगों को हर 5 वर्ष में एक बार अपना कार्डियक टेस्ट ज़रूर करवाना चाहिए। जिन लोगों को आनुवंशिक रूप से हृदय रोग होने का ख़तरा अधिक हो उन्हें जांच थोड़े कम अंतराल यानी 2-3 साल के बीच पर करानी चाहिए।

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