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बगैर मान्यता के संचालित हो रहे इंग्लिश मीडियम विद्यालय


--निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली से अभिभावक परेशान--

विश्ववार्ता समाचारपत्र अमित वाजपेयी की रिपोर्ट

  • अल्हागंज।  महंगाई की मार अब शिक्षा पर भी असर डालती दिख रही है अभिभावकों का आरोप है कि निजी स्कूल शिक्षा मनमानी को लेकर सरकार के नियमों के खिलाफ NCERT की किताबें न पढ़ाकर निजी प्रकाशन की किताबों का सहारा लिया जा रहा है  साथ ही फीस की मनमानी बढोत्तरी सीधे अभिभावकों की जेब पर असर डाल रही है जबकि क्षेत्र में बगैर मान्यताओं के इग्लिश मीडियम विद्यालय चल रहे कुछ विद्यालयों की मान्यता हिंदी मीडियम की होने के बावजूद फीस की अवैध बसूली के चक्कर में इग्लिश मीडियम चला रहे है। 


सरकार के कड़े निर्देशो के बावजूद भी निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली से लेकर निजी प्रकाशन की पुस्तकें पाठ्यक्रम में संचालित करना अभिभावकों की जेब पर खासा असर डाल रहा है. यूं तो सरकार के कड़े निर्देश हैं कि स्कूलों के पाठ्यक्रम में NCERT की किताबों से पढ़ाई हो लेकिन निजी स्कूल निर्धारित दुकानों से व स्वयं निजी प्रकाशन के ही कोर्स स्कूल में संचालित कर रहे हैं जिसको लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। बगैर मान्यता व हिंदी मीडियम के रजिस्ट्रेशन पर खोले इग्लिश मीडियम विद्यालय हो या दूसरे के रजिस्ट्रेशन व उसी की बिल्डिंग को किराये पर लेकर चला रहे इग्लिश मीडियम स्कूल की फीस 350 से लेकर 500 तक बसूली जा रही है साथ ही 500 रूपये एडमिशन फीस ऊपर से 300 रूपये टाई बेल्ट डेकोरेशन के नाम से बसूले जा रहे है। साथ ही KG,LKG आदि बच्चे जिन्हें लिखना भी नहीं आता उनके अभिभावकों से निजी प्रकाशन की किताबे 700 से लेकर 1100 तक खरीद करवा रहे है। कक्षा 3 व 4 की किताबों का कोर्स 2000 से 3000 तक बेंच रहे है।  जिससे अभिभावकों को काफी परेशानियों को झेलना पड रहा है।  सरकार के नियमों के विरूद्ध मनमानी फीस वसूली से लेकर निजी प्रकाशन की किताबों के नाम पर मोटे कमीशन के लालच में शिक्षा के नाम पर  क्षेत्र के विद्यालयों ने लूट मचा रखी हैं. बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों के खिलाफ अभियान चलाने वाला शिक्षा विभाग अपना कर्तव्य कितनी जिम्मेदारी से निभा रहा है इसका तो सभी अनुमान लगा ही सकते है।  शिक्षा विभाग में गहरी पैठ जमाकर विद्यालय संचालक मनमाने तरीके से संस्थान चलाते रहे और उन पर कभी अंकुश लगाने की कोशिश भी नहीं हुई। हालत यह है कि मात्र एक दो विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम की मान्यता है और धरातल पर दर्जनों स्कूल संचालित हो रहे हैं। नियमों के विपरीत विद्यालय चलाने वाले दोनों हाथों से अभिभावकों की जेब लूटने में व्यस्त रहे और विभाग मौन साधे बैठा रहा। हालत यह है कि मोटी फीस वसूलने के साथ कापी किताब व ड्रेस में मोटा कमीशन भी ले रहे हैं। जबकि नगर में दर्जनों ऐसे नामी गिरामी निजी विद्यालय चल रहे हैं जो इंग्लिश मीडियम की कक्षाएं संचालित कर रहे हैं और इंग्लिश मीडियम की ही कापी किताबें चला रहे हैं। अभिभावक भी अपने बच्चों को अच्छी व गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए संचालकों के झांसे में आकर इन अमान्य विद्यालयों में अपने बच्चों का दाखिला मोटी रकम देकर करा रहे हैं। इतना ही नहीं इन अमान्य विद्यालयों के द्वारा निश्चित की गई दुकानों पर ही कापी किताब व ड्रेस जूता मोजा टाई बेल्ट महंगे दामों पर खरीदने को मजबूर हैं। जबकि हकीकत में या तो इन विद्यालयों की मान्यता हिंदी मीडियम की है या फिर है ही नहीं तमाम विद्यालय तो किराये का कोप भवन. लेकर चोरी चुपके विद्यालय चला रहे है। संचालकों का दुकानदारों से कमीशन बंधा है, जो अभिभावकों के बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा देने के नाम पर शिक्षा विभाग की मिलीभगत से लूट रहे हैं। वहीं दुकानदारों द्वारा किताबों पर रेट का अलग से स्टीकर लगाया गया है जिसे हटाकर देखा गया तो उसमें एक किताब पर 100 से 150 अधिक रेट डाल रखे हैं। मजबूरी में अभिभावकों को इन दुकानों से ही पठन सामग्री खरीदनी पड़ रही है।


विद्यालयों द्वारा एक ही दुकान पर निजी प्रकाशन की किताबे खरीदवाना सरकार के नियमों के विरुद्ध है। और हिंदी मीडियम की मान्यता पर इग्लिश मीडियम विद्यालय नहीं चलाया जा सकता शीघ्र अभियान चलाकर ऐसे विद्यालयों पर कार्यवाही की जाऐगी। -डा० सुनील कुमार खण्ड शिक्षाधिकारी जलालाबाद

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