उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार गणेश चतुर्थी का व्रत जीवन में सुख-शांति की कामना से और जीवन साथी और संतान के सौभाग्य के लिए भी किया जाता है। रविवार को अश्विनी नक्षत्र होने से इस दिन आनंद नाम का शुभ योग भी रहा है। चतुर्थी, रविवार और आनंद शुभ योग की वजह इस दिन किए गए पूजा-पाठ जल्दी सफल हो सकते हैं।
ये है गणेश जी की पूजा की सरल विधि
विनायकी चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। इसके बाद घर के मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा पर शुद्ध जल, पंचामृत अर्पित करें। इसके बाद फिर से शुद्ध जल चढ़ाएं। हार-फूल, जनेऊ, चावल, दूर्वा आदि चीजें चढ़ाएं। वस्त्र अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें।
गणेश पूजा में दूर्वा के साथ ही शमी पत्ते भी जरूर रखें। गणेश जी को दूर्वा के जोड़े बनाकर चढ़ाना चाहिए। 22 दूर्वा को जोड़ने पर दूर्वा के 11 जोड़े तैयार हो जाते हैं। ये 11 जोड़े गणेश जी को चढ़ाएं। ध्यान रखें दूर्वा किसी साफ जगह पर उगी हुई होनी चाहिए या किसी मंदिर के बगीचे में उगी हुई दूर्वा धोकर भगवान को अर्पित करें। जिस जगह गंदगी हो, वहां की दूर्वा नहीं लेनी चाहिए। दूर्वा चढ़ाते समय गणेश जी के 11 मंत्रों का जाप करना चाहिए।
गणेश पूजा में इन 11 मंत्रों के जाप करें
ऊँ गं गणपतेय नम:, ऊँ गणाधिपाय नमः, ऊँ उमापुत्राय नमः, ऊँ विघ्ननाशनाय नमः, ऊँ विनायकाय नमः, ऊँ ईशपुत्राय नमः, ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः, ऊँ एकदन्ताय नमः, ऊँ इभवक्त्राय नमः, ऊँ मूषकवाहनाय नमः, ऊँ कुमारगुरवे नमः