- खोया, दूध और पनीर में नहीं कई चीजों पर कर रहे मिलावट
- शाहजहांपुर। होली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है बाजार में मिलावट खोरों की आमद बढ़ गई है। ऐसे में आपको खाने-पीने की चीजों को खरीदने के दौरान सर्तक रहने की जरूरत है। होली के पर्व पर खोया, देशी घी, दूध, पनीर और सरसों के तेल की खपत अन्य दिनों की अपेक्षा कई गुना बढ़ जाती है। खाद्य सामग्री की अधिक खपत देख मिलावट खोर भी बनावटी और मिलावटी सामान बाजार में बेच कर मोटी कमाई के लिए तैयार हो जाते हैं। आप थोड़ी से सर्तकता से मिलावटी सामान खरीदने से दूरी बना सकते हैं। इसके लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना होगा।
ऐसे तैयार होता है मिलावटी खोया,सस्ते के फेर में ना पड़ जाए महंगा
होली के त्योहार के दौरान बाजार में बनावटी एवं मिलावटी खोया आना शुरू हो जाता है, जिसे सिंथेटिक दूध, मैदा, आलू, वनस्पति घी और अरारोट के मिश्रण से तैयार किया जा रहा है।
ऐसे कर सकते हैं पहचान
खरीदा गया खोया असली है या नकली इसकी पहचान करने के लिए आप फिल्टर आयोडीन के दो से तीन बूंदे खोया पर डालें यदि इसका रंग काला पड़े तो समझ लें कि यह मिलावटी है।
बिक रहा पॉम आयल
सरसों तेल के नाम पर सस्ता पॉम आयल बेचा जा रहा है। प्रतिबंधित सिंथेटिक कलर मिलाकर इसे सरसों के तेल का रंग दिया जाता है। पॉम आयल बाजार में 80 से 95 रुपए प्रति लीटर उपलब्ध है जबकि इसको सरसों के तेल का रूप देकर 170 से 190 रुपए प्रति लीटर बेचा जाता है।
ऐसे करें पहचान
सरसों के तेल को एक कटोरी में भर कर फ्रिज में रखें यदि तेल में मिलावट होगी तो तेल जम जाएगा अन्यथा शुद्ध होने पर वैसा ही रहेगा।
बाजार में नकली पनीर भी
स्टार्च, अरारोट और सिंथेटिक दूध की मिलावट कर पनीर तैयार किया जाता है। इसे देखकर आप कतई अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि यह मिलावटी है।
ऐसे करें पहचान
पनीर को पानी में उबालकर ठंडा कर लें। इसमें थोड़ा सा आयोडीन सॉल्यूशन डालें। यदि पनीर का रंग नीला पड़ जाए तो समझ लें कि इसमें स्टार्च की मिलावट की गई है। इस तरह का पनीर लोगों की सेहत पर बुरा असर डालता है।
80 रुपये में तैयार होता है सिंथेटिक पनीर
सिंथेटिक पनीर को बनाने के लिए स्किम्ड मिल्क, खाने वाले सोडे के अलावा घटिया पॉम आयल, वेजीटेबल आयल और बेकिंग पाउडर का प्रयोग होता है। यह थोक में 80 रुपये तक मिलता है। यह पनीर खाने में रबर सा और पीले रंग का होता है।
मिलावटी देशी घी भी बिगाड़ रहा सेहत
देसी घी के नाम पर लोगों की सेहत से खूब खिलवाड़ कर काल के गाल में झोंका जा रहा है। इसके सेवन से लोगों के लीवर समेत शरीर के विभिन्न अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। मिलावट खोर बनावटी एवं मिलावटी देसी घी तैयार करने के लिए डालडा घी, उबले आलू का स्टार्च तथा देसी घी के सेंट का प्रयोग करते हैं, जिसे 500 से 600 रुपए प्रति किलो तक बेच रहे हैं।
ऐसे करें पहचान
इसकी पहचान करने के लिए एक चम्मच घी में एक चम्मच हाइड्रोक्लोरिक एसिड और एक चुटकी चीनी मिलाएं यदि लाल हो जाए तो समझ लें कि मिलावटी घी है।
नकली वर्क का होता है इस्तेमाल
दुकानों में मिठाइयों पर चांदी वर्क के नाम पर एल्यूमिनियम वर्क का इस्तेमाल करते हैं।
ऐसे करें पहचान
हाथ में लेकर उसकी गोली बनाएं अगर बन जाती है जो समझ लीजिए वर्क में गड़बड़ी है।
कार्रवाई का नहीं रहता खौफ
खाद्य विभाग द्वारा मिलावट खोरों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई तो की जाती है, लेकिन मिलावटखोरों पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिलता है। विभाग द्वारा पिछले साल की गई कार्रवाई से इस बात की पुष्टि करता है कि बाजारों में मिलावटी खाद्य सामग्री बेची जा रही है।
सामान का बिल जरूर लें
जिस शॉप से सामान खरीद रहे हैं उससे पक्का बिल जरूर लें ताकि अगर मिलावट की शिकायत करते हैं तो उस बिल को भी सबूत के तौर पर दिखाया जा सके।
इसका भी रखें ध्यान
- दूध में गंदा पानी और दूषित बर्फ का इस्तेमाल किया जाता है। दूध को कई दिनों तक बनाए रखने के लिए उसमें प्रतिबंधित माल्टो डेक्सिट्रन पाउडर भी मिलाते हैं।
- धनिया में अधिकतर मिट्टी और बुरादा मिलाया जाता है। परखनली में पानी के ऊपर चुटकी भर धनिया डालेंगे तो बुरादा पानी के ऊपर तैरने लगेगा।
- काली मिर्च में पपीते के बीज मिलाए जाते हैं। किसी गिलास में पानी डालकर साबूत काली मिर्च नीचे बैठ जाती है पपीते के बीज ऊपर तैरने लगते हैं।
- चीनी में चॉक पाउडर की मिलावट होती है। चीनी को पानी में घोलने पर चॉक पाउडर नीचे बैठ जाता है। इससे मिलावट का पता चल सकता है।
खतरनाक रंगों से बन रही नमकीन
बाजार में तरह तरह के चिप्स, पापड़ और दालमोठ बिक रही हैं। इन्हें मानकों से कई गुना अधिक कलर मिलाकर बेचा रहा है। यह रंग उस स्तर पर हैं जो आपकी सेहत बिगाड़ सकता है।
सेहत बिगाड़ रहे मिलावट खोर
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मिलावटी हल्दी से हार्ट और किडनी समेत कई बीमारियां हो सकती हैं।
- मिर्च में अगर रंग मिला हो तो दिल में ब्लॉकेज हो सकता है।
- चाय की पत्तियों में सूखी पत्ती व लोहे का बुरादा मिलाया जाता है। यह धीमे जहर से कम नहीं।
- दाल चीनी छाल है, लेकिन इसमें ऐसे पत्ते मिलाए जा रहे हैं जिनसे स्किन डिजीज हो जाती है।
- सरसों में मिलाया जाने वाले आर्जीमोन से ड्रॉप्सी हो सकता है।