- लखनऊ। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 1 मार्च, मंगलवार को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे, वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था।
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। प्रमुख शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। कई ग्रंथों में इस पर्व से संबंधित परंपराएं और मान्यताएं लिखी हैं। शिवपुराण के अनुसार, इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने तथा व्रत रखने से विशेष फल मिलता है।
ये है व्रत विधि
- महाशिवरात्रि की सुबह व्रती (व्रत करने वाला) जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद माथे पर भस्म का त्रिपुंड तिलक लगाएं और गले में रुद्राक्ष की माला धारण करें।
- इसके बाद समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा करें। श्रृद्धापूर्वक व्रत का संकल्प इस प्रकार लें-
शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येहं महाफलम्।
निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते।।
- यह कहकर हाथ में फूल, चावल व जल लेकर उसे शिवलिंग पर अर्पित करते हुए यह श्लोक बोलें-
देवदेव महादेव नीलकण्ठ नमोस्तु ते।
कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव।।
तव प्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति।
कामाद्या: शत्रवो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि।।
इस प्रकार करें रात्रि पूजा
- व्रती दिनभर शिव मंत्र (ऊं नम: शिवाय) का जाप करें तथा पूरा दिन निराहार रहें। (रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते हैं।)
- शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है। शाम को स्नान करके किसी शिव मंदिर में जाकर अथवा घर पर ही पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके त्रिपुंड एवं रुद्राक्ष धारण करके पूजा का संकल्प इस प्रकार लें-
ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये
- व्रती को फल, फूल, चंदन, बिल्व पत्र, धतूरा, धूप व दीप से रात के चारों प्रहर पूजा करनी चाहिए साथ ही भोग भी लगाना चाहिए।
- दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें।
- चारों प्रहर के पूजन में शिवपंचाक्षर (नम: शिवाय) मंत्र का जाप करें। भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से फूल अर्पित कर भगवान शिव की आरती व परिक्रमा करें। अंत में भगवान से प्रार्थना इस प्रकार करें-
नियमो यो महादेव कृतश्चैव त्वदाज्ञया।
विसृत्यते मया स्वामिन् व्रतं जातमनुत्तमम्।।
व्रतेनानेन देवेश यथाशक्तिकृतेन च।
संतुष्टो भव शर्वाद्य कृपां कुरु ममोपरि।।
अगले दिन (2 मार्च, बुधवार) सुबह पुन: स्नान कर भगवान शंकर की पूजा करने के बाद व्रत का समापन करें।
महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त
- पहले प्रहर की पूजा शाम 6:21 मिनट से रात्रि 9:27 मिनट के बीच की जाएगी
- दूसरे प्रहर की पूजा रात 9:27 मिनट से 12: 33 मिनट के बीच
- तीसरे प्रहर की पूजा रात 12:33 मिनट से सुबह 3:39 बजे के बीच
- चौथे प्रहर की पूजा 3:39 मिनट से 6:45 मिनट के बीच की जाएगी
अन्य शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन सुबह 11.47 से दोपहर 12.34 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इसके बाद दोपहर 02.07 से लेकर 02.53 तक विजय मुहूर्त रहेगा। पूजा या कोई शुभ कार्य करने के लिए ये दोनों ही मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ हैं।