शत शत नमन संविधान को दी, वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रेस को मिली अनुच्छेद 19 में
सब का दर्पण और समर्पण स्वतंत्र प्रेस की आवाज।
नहीं किसी से घबराती है।
चट्टानों से टकराती है।
ना धन दौलत की चाह।
चलते अपनी राह।
चाहे मिले मौत के पैगाम।
ऐसे पत्रकारों को प्रणाम।
नहीं रुकी फिर कभी कलम,
जन-जन की जन-जन तक पहुंचाते आवाज।
अभिव्यक्ति की कुशलता,
हर व्यक्ति को स्वतंत्रता का अधिकार
जन-जन तक पहुंचने का किया प्रसार।
प्रेस ना होती दबी रहती तमाम प्रतिभाएं
प्रेस को हम करते दिल से सलाम।
लोकतंत्र में सशक्त राष्ट्र का मूल आधार।
जब जब दुराचारियों का पाप बढा
तब तब आवाज बनी प्रेस, सच्ची प्रीत बनी
भेदभाव रहित सच्ची प्रीत है हमारी प्रेस।
और सच्ची मीत है हमारी प्रेस।
मुख्य भूमिका है इसकी राष्ट्र का विकास
प्रेस दिवस है, हम सबके लिए खास
संपूर्ण राष्ट वसुधैव कुटुंबकम वनाया
तलवार की धार पर ,
करती है काम बड़े-बड़े कलम,
अत्याचारियों का कर दिया काम तमाम
कलम की ताकत क्या है जन-जन को बताया है,
सजग प्रहरी वन निष्पक्ष न्याय दिलाया हैं
इसको कभी ना खोने देना।
हम सब की नैतिक जिम्मेदारी सदा करें सम्मान।
जो खड़े राष्ट्र के हित में हैं।
सब का दर्पण और समर्पण प्रेस की आवाज।
प्रेस ना होती तो प्रतिभाओं का होता दमन
सभी प्रेस और पत्रिकाएं हैं देश की जान।
आप सभी पर है देश को अभियान।
सीता सर्वेश त्रिवेदी
जलालाबाद शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश