- कृष्ण जन्माष्टमी के दो दिन बाद रविवार को पुत्रदा एकादशी है। भाद्रपद महीने का रविवार होने से इस दिन सूर्य के त्वष्टा रूप की पूजा की जाएगी। साथ ही एकादशी होने से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत भी होगा। जिससे ये महा पुण्यदायी दिन रहेगा।
एकादशी पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा
भादौ महीने की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाए तो जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से सुख-समृद्धि मिलती है। इस बात का जिक्र महाभारत और विष्णु धर्मोत्तर पुराण में किया गया है।
अजा एकादशी पर भगवान विष्णु के उपेंद्र रूप की पूजा करने का विधान है। इस तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं और व्रत का संकल्प लें। पीपल के पेड़ और तुलसी की पूजा करें। मंदिर जाकर या घर में ही श्रीकृष्ण या भगवान विष्णु का अभिषेक करें। दिनभर व्रत के नियमों का पालन करें। इसके बाद शाम को तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक लगाएं और मंदिर जाकर भगवान को प्रसाद चढ़ाएं। फिर जरुरतमंद लोगों को बांट दें।
दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिला हुआ दूध भरें और उससे भगवान विष्णु के साथ श्रीकृष्ण के बाल रूप का अभिषेक करें। फिर सभी तरह की पूजन सामग्री चढ़ाकर पूजा करें।
रविवार को सूर्य पूजा
भादौ महीने के रविवार को सूर्य पूजा विशेष पुण्यदायी होती है। क्योंकि इस समय सूर्य अपनी ही राशि में होता है। स्वराशि गत सूर्य होने से इस योग में सूर्य को दिया गया अर्घ्य उम्र बढ़ाने वाला होता है। इस दिन सूर्य को त्वष्टा रूप में पूजने से बीमारियां भी दूर होती हैं। पुराणों में कहा गया है कि इस रूप में सूर्य आरोग्य और बल देने वाले होते हैं।