- आज ज्येष्ठ महीने की स्नान-दान करने वाली पूर्णिमा है। जो कि सुबह तकरीबन 9 बजे तक ही रहेगी, लेकिन पूर्णिमा तिथि में ही सूर्योदय होने से पूरे दिन पुण्य कर्म के लिए पूरा दिन शुभ रहेगा।
- इस पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने का विधान है, अगर न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहाने से इसका पुण्य मिल जाता है। इस पर्व पर भगवान शिव, विष्णुजी और देवी गंगा के पूजन करने की परंपरा भी है।
- पूर्णिमा तिथि 3 तारीख को सुबह करीबन 11.20 से शुरू हो गई है। जो कि 4 जून को सुबह लगभग 9 बजे तक रहेगी। इस वजह से व्रत और पूजा शनिवार को की गई और स्नान-दान के लिए रविवार शुभ रहेगा।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
इस दिन से श्रद्धालु गंगाजल लेकर अमरनाथ यात्रा के लिए निकलते हैं। वहीं, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भी इसी दिन 108 जल के घड़े भरकर उनसे भगवान को नहलाया जाता है। इसे देवस्नान पूर्णिमा भी कहा जाता है।
ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा पर जरुरतमंद लोगों को खाना खिलाया जाता है। इसके बाद तिल और जलदान करने की परंपरा है। इससे ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा पर गंगा सहित बाकी पवित्र नदियों की पूजा करने का भी विधान है। इस दिन बरगद और पीपल में जल चढ़ाने से पुण्य मिलता है।
शिव जी और विष्णु जी की पूजा करें
इस दिन खासतौर से भगवान शिव और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए। पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और पुण्य कर्म करने का तो महत्व है ही, लेकिन साथ ही भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। इससे उम्र बढ़ती है और दोष दूर होते हैं।
ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी को पूजने का भी विधान है। इसके लिए शंख में दूध भरकर भगवान का अभिषेक करें और पंचामृत से भगवान को नहलाएं। इस तरह भगवान विष्णु की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।
मान्यता: पीपल और चंद्रमा की पूजा से दूर होंगी परेशानियां
1. इस दिन पीपल के पेड़ का पूजन करना चाहिए क्योंकि इस पेड़ पर भगवान विष्णु का निवास होता है, इसलिए सुबह जल्दी उठकर पानी में कच्चा दूध मिलाकर पीपल में चढ़ाएं और घी का दीपक लगाएं।
2. पीपल और नीम की त्रिवेणी के नीचे विष्णु सहस्त्रनाम या शिवाष्टक स्त्रोत का पाठ करने से जन्म कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं।
3. इस दिन चंद्रमा की पूजा करने का भी विधान है। चंद्रमा को दूध, दही और सफेद फूल वाले जल से अर्घ्य देना चाहिए। इससे परेशानियां दूर होने की मान्यता है।