- सोमवार, 1 मई को वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है। एकादशी और सोमवार को योग में विष्णु जी, शिव जी के साथ ही चंद्र ग्रह की पूजा भी की जाए तो कुंडली के कई ग्रह दोष शांत हो सकते हैं। पूजा में चंद्र ग्रह के मंत्र ऊँ सों सोमाय नम: का जप करना चाहिए। मंत्र जप कम से कम 108 बार करें।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी का महत्व काफी अधिक है। इस दिन की गई विष्णु पूजा और व्रत-उपवास से अक्षय पुण्य मिलता है और भगवान की कृपा से सभी दिक्कतें दूर होती हैं। इस एकादशी पर सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं और घर के मंदिर में गणेश पूजन करें। इसके बाद विष्णु जी के सामने व्रत और पूजा करने का संकल्प लें।
जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें दिनभर निराहार रहना चाहिए। अगर दिनभर भूखे रहना संभव न हो तो दूध और फलों का सेवन किया जा सकता है, फलाहार कर सकते हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद विष्णु पूजन करें। तुलसी के साथ शालीग्राम की पूजा करें। तुलसी के पास दीपक जलाएं। अगले दिन यानी मंगलवार (द्वादशी) को सुबह जल्दी उठें, स्नान के बाद पूजा करें और जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें, भोजन कराएं। इसके बाद खुद भोजन ग्रहण करें। इस तरह एकादशी का व्रत पूरा होता है।
एकादशी पर सकते हैं ये शुभ काम
एकादशी और सोमवार के योग में शिव जी का अभिषेक करें। तांबे के लोटे से शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। चांदी के लोटे से शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं। इसके बाद फिर से तांबे के लोटे से शुद्ध जल चढ़ाएं।
शिवलिंग पर चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। हार-फूल, जनेऊ चढ़ाएं, श्रृंगार करें। गुलाल, अबीर आदि शुभ चीजें चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें और खुद भी लें।
चंद्र ग्रह की प्रतिमा या शिव जी के मस्तक पर विराजित चंद्र की पूजा करें। चंद्र देव का दूध से अभिषेक करें। दूध से बनी मिठाई चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।