आज आंवला नवमी है। इस तिथि पर आंवले की पूजा से मिलने वाला पुण्य कभी नहीं खत्म होता है। इसलिए इसे अक्षय पुण्य देने वाला व्रत कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक इस व्रत में आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाने और उसे खाने से हर तरह की परेशानियां खत्म हो जाती है।
इस दिन महिलाएं अच्छी सेहत, संतान सुख और समृद्धि की कामना से आंवले के पेड़ के साथ विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा करती हैं। व्रत भी रखती हैं। वैसे तो पूरे कार्तिक महीने में पवित्र नदियों में नहाने का महत्व है, लेकिन इस दिन तीर्थ स्नान करने से अक्षय पुण्य मिलता है।
एक मान्यता ये भी है कि कंस को मारने से पहले आंवला नवमी पर ही भगवान कृष्ण ने ग्वाल बाल और ब्रजवासियों को एक सूत्र में पिरोने के लिए अक्षय नवमी पर तीन वन की परिक्रमा कर क्रांति का अलख जगाया। इसलिए आंवला नवमी पर बहुत से लोग मथुरा- वृंदावन की परिक्रमा करते हैं। इस तिथि पर भगवान राधा-कृष्ण की पूजा से शान्ति, सद्भाव, सुख और वंश वृद्धि के साथ पुनर्जन्म के बंधन से भी मुक्ति मिलती है।
ग्रंथों में ये भी कहा गया है कि इसकी जड़ में भगवान विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, तने में रुद्र, शाखाओं में मुनि गण, टहनियों में देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और फल में प्रजापति का वास होता है। इसलिए ग्रंथों में आंवले को सर्वदेवयी कहा गया है ।