- अल्हागंज 18 अक्टूबर 2022. (अमित वाजपेयी). दिवाली का त्यौहार महज एक सप्ताह बाद है पर प्रशासन ने अब तक आतिशबाजी बेचने बालों के लाइसेंस तक की जानकारी नहीं की हैं, न ही आतिशबाजी बाजार के लिए स्थान तय किया गया है। पर कुछ दुकानदारों ने बिना लाइसेंस के पटाखों की थोक बिक्री शुरू कर दी है। इसके अलावा हर साल नगर के बस स्टेशन से लेकर साहबगंज तक खुलेआम बाजार में पटाखे की दुकानें लगती हैं जिसके चलते कभी भी कोई बडी दुर्घटना हो सकती है।
जानकारी के अनुसार कस्बे में पटाखों की दुकानें सजने की तैयारियां शुरु हो चुकी हैं व कुछ बड़ी किराने की दुकानों पर बड़े पैमाने पर बिक्री भी शुरू हो चुकी है। इसके बावजूद प्रशासन इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। नगर में आतिशबाजी की दुकानें लगाने के लिए प्रशासन ने सुरक्षा इंतजाम के निर्देश तो दे रखे हैं, लेकिन यह सिर्फ फाइलों तक सीमित हैं। वैसे तो दुकान में सुरक्षा के लिए फायर सिस्टम, रेत से भरी बाल्टी, पानी, आग बुझाने के अन्य उपकरण होना अनिवार्य है लेकिन किसी भी दुकान पर यह इंतजाम नजर नहीं आते कभी भी देखे गये हैं।
स्थानीय निवासियों की मानें तो नगर में गत वर्षो से आतिशबाजी बाजार खुलेआम सड़क में लगता रहा है। इस बार भी प्रशासन ने अभी तक कोई स्थान तय नहीं किया है। जिससे साफ जाहिर होता है कि इस बार भी खुलेआम बाजार में दुकानों के आगे टेंट व लकड़ी के तख्ते लगाकर अस्थाई रूप से दुकानें लगेंगी। दुकानदारों ने अभी से ही इंतजाम करना शुरू कर दिया है, इससे खतरे का अंदेशा बराबर बना है। कस्बे की बडी दुकानों में बिना लाइसेंस और बगैर सुरक्षा इंतजामों के पटाखों की दुकानें चल रही हैं। इन पर ना तो अग्निशमन यंत्र है, ना ही सुरक्षा के अन्य इंतजाम। इन दुकानों पर प्रतिबंधित चाइनीज पटाखे भी बेंचे जा रहे हैं। दुकानों पर कई सौ किलोग्राम तक बारूद का स्टॉक है। कस्बे में सभी पटाखों की दुकानें मुख्य बाजार की सड़क पर लगती है। जहां एक चिंगारी भी बड़ा हादसा कर सकती है। नियमानुसार लाइसेंस धारक स्वीकृत क्षमता के पटाखे एक समय में रख सकता है। जिला कलक्टर को तीन विभिन्न श्रेणियों में अधिकतम 100 किलोग्राम आतिशबाजी बेचने का त्योहारी लाइसेंस जारी करने का अधिकार है। जबकि नगर में 90 प्रतिशत दुकानदारों के पास लाईसेंस है ही नहीं, फिर छोटे फुटपाथी दुकानदार भी त्यौहार पर फुटपाथ पर ही अपनी दुकानें सजाते हैं। नगर में कई दुकानदारों ने इस क्षमता से अधिक और अस्वीकृत श्रेणी के पटाखे जमा कर रखे हैं।
भारत सरकार के विस्फोटक अधिनियम 1984 और विस्फोटक विनियम 2008 के अध्याय 7 में आतिशबाजी की स्थाई व अस्थाई दुकानों के लिए नियम बनाए गए हैं। होलसेल लाइसेंस धारक इन नियमों के पालन के लिए बाध्य हैं। भले ही उन्होंने स्थाई लाइसेंस लिया हो। नियम 83 के अनुसार पटाखा बिक्री की स्थाई दुकान कंक्रीट से बनी हुई हो। आकार 9 वर्गमीटर से ज्यादा और 25 वर्ग मीटर से कम होना चाहिए। दुकान में कोई विद्युत उपकरण, लैम्प, बैटरी या चिंगारी पैदा करने वाला कोई समान नहीं होना चाहिए। एैसी जगह हो, जहां अग्निशमन वाहन तत्काल पहुंच सके। पर कस्बे में एक भी दुकान नियम से नहीं बनी है क्योंकि नगर में 90 प्रतिशत लोगों के पास पटाखा लाईसेंस नहीं है फिर भी दीपावली पर उनकी बिक्री बम्पर होती है। पडोसी जनपद बदायूं में बडा हादसा होने के बाद भी यहां प्रशासन अभी तक इस बारे में नहीं चेता है। जिसके चलते नगर में बडी तादाद में दुकानदारों ने पटाखे स्टाक कर रखे हैं जो कभी भी बड़े हादसे की वजह बन सकते हैं।