उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव का समय नजदीक आ गया है. मतदाता पुनरीक्षण का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है. राज्य चुनाव आयोग ने मतदाता पुनरीक्षण को लेकर एक अधिसूचना जारी की है. जिसमें बताया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण 31 अक्टूबर से शुरू किया जाएगा. उसके बाद वोटर लिस्ट अंतिम प्रकाशन 18 नवंबर को होगा. संभावना जताई जा रही है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण के बाद निकाय चुनाव की तारीख का ऐलान भी हो सकता है. माना जा रहा है कि आयोग नवंबर के दूसरे सप्ताह तक चुनाव के संबंध में अधिसूचना जारी कर सकता है. दरअसल, उत्तर प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में नगर निकाय चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है.
18 नवंबर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन
राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि 31 अक्टूबर को मतदाता सूची का ड्राफ्ट प्रकाशित किया जाएगा. 8 से 12 नवंबर तक उन पर दावे और आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा. 14 से 17 नवंबर तक पूरक सूचियों की पांडुलिपियों की तैयारी और उन्हें मूल सूची में समाहित करने की कार्यवाही होगी. 18 नवंबर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा.
सूची में नाम जुड़वाने के लिए 4 नवंबर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं
इस संबंध में जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पुनरीक्षण कार्यक्रम के बारे में प्रचार प्रसार किया जाए. संबंधित कार्यालयों के सूचना पट पर जानकारी दी जाए. मतदाता अपना नाम सूची में सम्मिलित करवाने के लिए 1 नवंबर से 4 नवंबर तक की अवधि में आयोग की वेबसाइट http://sec.up.nic.in पर भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. आयोग ने साफ किया है कि किसी भी परिस्थिति में समय सीमा नहीं बढ़ाई जाएगी. पुनरीक्षण कार्य के दौरान पड़ने वाले अवकाश के दिनों में भी कार्यालय खुले रहेंगे और काम होंगे. निधार्रित कार्यक्रम के अनुसार पूरी कार्यवाही की जाएगी.
5 जनवरी 2024 को कार्यकाल समाप्त हो रहा
इससे पहले आयोग ने कहा था कि नगर निकायों में वार्डों के पुनर्गठन और परिसीमन के बाद आयोग स्तर पर रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. रिपोर्ट मिलने के बाद मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम शुरू किया जाएगा. नगर निकायों में वर्तमान बोर्ड का कार्यकाल 5 जनवरी 2024 को समाप्त हो रहा है. नवंबर-दिसंबर में चुनाव कराने की तैयारी की गई है.
यूपी में निकाय चुनाव को माना जा रहा सेमी फाइनल
इसी साल आखिर में होने वाले शहरी क्षेत्र के निकाय चुनाव को 2024 का सेमीफाइल भी माना जा रहा है, क्योंकि इसके बाद सीधे लोकसभा का चुनाव होना है. ऐसे में सत्ताधारी बीजेपी से लेकर विपक्षी दल सपा, बसपा और कांग्रेस ने भी अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है. शहरी क्षेत्र के नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत के चेयरमैन और वार्ड पार्षद का चुनाव होना है. ऐसे में निकाय चुनाव के लिए 15 नवंबर के बाद किसी भी दिन अधिसूचना जारी हो सकती है, लेकिन इसके लिए सरकार की मंजूरी जरूरी है. सरकार को तय करना है कि नोटिफिकेशन कब जारी किया जाएगा.
सीटों के आरक्षण की होनी घोषणा
नगर निकाय सीटों के विस्तार के बाद नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत के चेयरमैन और वार्डों के आरक्षण का कार्य किया जाना है. आरक्षण का प्रावधान राज्य सरकार करती है, जिसमें ओबीसी, एससी, एसटी और सामान्य सीटों का आरक्षण होना है. इसके अलावा महिलाओं की लिए भी सीटें आरक्षित की जानी है. एसके सिंह ने बताया कि निकाय सीटों के आरक्षण का काम सरकार को करना है, जिसके लिए जनसंख्या को आधार बनाया जाता है. ऐसे में पहले एसटी समुदाय की जनसंख्या का फिगर आउट किया जाता और फिर उस क्षेत्र में कितनी सीटें आती है, उसका मूल्याकंन किया जाता और फिर आरोही क्रम में रखते और तब जाकर आरक्षण तय होता.