27 अक्टूबर (गुरुवार) को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया यानी को भाई दूज है। गुरुवार को दीपोत्सव खत्म हो जाएगा। भाई दूज पर भाई बहन के घर खाना खाने जाता है, ऐसी परंपरा है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र, सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य के लिए यमराज और चित्रगुप्त से प्रार्थना करती है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक भाई दूज यमराज और चित्रगुप्त की पूजा करने का पर्व है। इस पर्व की रात में इनके लिए भी खासतौर पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए।
यमुना और यमराज के पिता हैं सूर्य देव
यमराज और यमुना सूर्य देव और संज्ञा की संतानें हैं। शनिदेव सूर्य और छाया की संतान हैं। यमुना अपने सगे यमराज से बहुत स्नेह रखती हैं।
जब यमराज ने अपनी अलग यमपुरी बसाई तो वे अपने काम में बहुत व्यस्त हो गए थे। इस वजह से वे अपनी बहन यमुना से मिलने नहीं आ पाते थे।
यमुना बार-बार उनसे निवेदन करती थीं कि वे उसके घर खाना खाए आए, लेकिन लंबे समय तक यमराज यमुना के घर नहीं जा सके। तब एक दिन यमुना ने यमराज से वचन ले लिया कि उन्हें उनके घर खाना खाने आना ही होगा।
जिस दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे, उस दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया थी। इस तिथि पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया था।
यमराज यमुना के आतिथ्य से बहुत प्रसन्न हुए और वर मांगने के लिए कहा। उस समय यमुना जी ने यमराज से वर मांगा था कि अब से हर साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया पर आप मेरे घर आएंगे और इस दिन जो बहन भाई को अपने घर भोजन कराएगी, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
यमराज ने यमुना के ये बातें पूरी करने का वर दे दिया। तभी से ये परंपराएं चली आ रही हैं।
मथुरा में यमुना नदी में स्नान करने की परंपरा
भाई दूज पर मथुरा में यमुना नदी में भाई-बहन डूबकी लगाने आते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भाई-बहन को सौभाग्य और सुख-समृद्धि मिलती है। भाई-बहन आपसी स्नेह बना रहता है।
इस दिन बहन भाई को तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र, सौभाग्य की कामना यमराज और यमुना से करती हैं।
अगर यमुना नदी में स्नान करना संभव न हो तो
जो लोग भाई दूज पर यमुना नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं, उन्हें घर पर ही पानी में गंगाजल और यमुना जल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय पवित्र नदियों का और तीर्थों का ध्यान करना चाहिए।