- आज से कार्तिक मास शुरू हो गया है। ये 10 अक्टूबर से 8 नवंबर तक रहेगा। इसे पवित्र महीना भी कहते हैं। क्योंकि इन दिनों में सूर्योदय से पहले उठना, सूर्य पूजा करना, दीपदान करना और तीर्थ स्नान के साथ ही जरुरतमंद लोगों को कपड़े और खाने की चीजों का दान करने की परंपरा है। इस महीने का नाम भगवान कार्तिकेय से पड़ा है। कार्तिक महीने में ही भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। साथ ही इन दिनों भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की विशेष पूजा करने का भी विधान है।
सूर्योदय से पहले उठने की परंपरा
कार्तिक मास में सूरज उगने से पहले उठने की परंपरा है। इसके बाद नहाकर उगते हुए सूर्य की पूजा करने का विधान भी है। फिर तुलसी और पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से बीमारियां दूर होती हैं और उम्र बढ़ती है।
कार्तिकेय स्वामी की वजह से इस माह को कहते हैं कार्तिक
धर्म ग्रंथों में कार्तिक मास के बारे में लिखा है कि है कि इसी महीने में शिवजी के पुत्र कार्तिकेय स्वामी ने तारकासुर नाम के राक्षस को मारा था। इससे खुश होकर शिवजी ने इस माह को कार्तिक नाम दिया। माह में किए गए पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य मिलता है।
स्नान-दान का महत्व
पूरे कार्तिक महीने में सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करने का विधान है। ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल या और किसी पवित्र नदी का जल पानी में मिलाकर नहा सकते हैं। पुराण कहते हैं कि ऐसे नहाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।